आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "banyaa.in"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "banyaa.in"
नज़्म
रिश्वत
थी बुज़ुर्गों की जो बनियाइन वो बनिया ले गया
घर में जो गाढ़ी कमाई थी वो गाढ़ा ले गया
जोश मलीहाबादी
ग़ज़ल
मोमिन ख़ाँ मोमिन
पृष्ठ के संबंधित परिणाम "banyaa.in"
शब्दकोश से सम्बंधित परिणाम
अन्य परिणाम "banyaa.in"
नज़्म
ज़िंदगी से डरते हो
आदमी तो तुम भी हो आदमी तो हम भी हैं
आदमी ज़बाँ भी है आदमी बयाँ भी है
नून मीम राशिद
ग़ज़ल
नासिर काज़मी
शेर
हैं और भी दुनिया में सुख़न-वर बहुत अच्छे
कहते हैं कि 'ग़ालिब' का है अंदाज़-ए-बयाँ और
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
हम दोनों मिल कर भी दिलों की तन्हाई में भटकेंगे
पागल कुछ तो सोच ये तू ने कैसी शक्ल बनाई है
जौन एलिया
ग़ज़ल
सिराज औरंगाबादी
नज़्म
ऐ इश्क़ हमें बर्बाद न कर
बरबत की सदा पर रो देना मुतरिब के बयाँ पर रो देना
एहसास को ग़म बुनियाद न कर
अख़्तर शीरानी
नज़्म
वो सुब्ह कभी तो आएगी
ये नरक से भी गंदी दुनिया जब स्वर्ग बनाई जाएगी
वो सुब्ह कभी तो आएगी