aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "be-suud"
बी. आर. सूद
लेखक
फे सुअाद बे बिन्ते ख्वाजा अहमद हसन
जब सारा मंज़र देख चुकेतो ख़्वाबों में खो जाना क्या
दिल से बे-सूद और जाँ से ख़राबहो रहा हूँ कहाँ कहाँ से ख़राब
ये इश्क़-विश्क़ काविश-ए-बे-सूद है ऐ दोस्तऐसी है ये ख़ुशी कि जो महदूद है ऐ दोस्त
बे-सूद है गुफ़्तार जो किरदार नहीं हैकिरदार हो तो हाजत-ए-गुफ़्तार नहीं है
कोशिशें बे-सूद हैं बेकार हर तदबीर हैहुस्न की सरकार में हर आह बे-तासीर है
रचनाकार की भावुकता एवं संवेदनशीलता या यूँ कह लीजिए कि उसकी चेतना और अपने आस-पास की दुनिया को देखने एवं एहसास करने की कल्पना-शक्ति से ही साहित्य में हँसी-ख़ुशी जैसे भावों की तरह उदासी का भी चित्रण संभव होता है । उर्दू क्लासिकी शायरी में ये उदासी परंपरागत एवं असफल प्रेम के कारण नज़र आती है । अस्ल में रचनाकार अपनी रचना में दुनिया की बे-ढंगी सूरतों को व्यवस्थित करना चाहता है,लेकिन उसको सफलता नहीं मिलती । असफलता का यही एहसास साहित्य और शायरी में उदासी को जन्म देता है । यहाँ उदासी के अलग-अलग भाव को शायरी के माध्यम से आपके समक्ष पेश किया जा रहा है ।
सोशल डिस्टेन्सिंग शायरी
बे-सूदبے سود
useless
Pand Be Sood
सफ़ी औरंगाबादी
नज़्म
Ghalib Ba Sad Andaz
ब्रिजेन्दरा सयाल
Gul-e-Sad Rang-o-bu
जमशेद क़मर
संकलन
Be Sakhta
इब्न-ए-मुफ़्ती
शाइरी
Ba Silsila Taqreebat Sad Sala Jashn-e-Ghalib
सैयद रग़ीब हुसैन
Khursheed Begham
माटी सूं मजाक
बी. एल. माली
Mashiyat-e-Hind
टी. एन. सचदेवा
अर्थशास्त्र
बे-हिस के तग़ाफ़ुल का तो शिकवा बे-सूदपत्थर से पिघलने का तक़ाज़ा बे-सूद
बे-सूद एक सिलसिला-ए-इम्तिहाँ न खोलसब देख देखता ही चला जा ज़बाँ न खोल
आतिश-ए-बे-सूद में मत कूद हो कर बे-ख़तरमत गँवा यूँ मुफ़्त में आज़ादी-ए-क़लब-ओ-जिगर
कितनी बे-सूद जुदाई है कि दुख भी न मिलाकोई धोका ही वो देता कि मैं पछता सकता
ऐ मेरी आँखो ये बे-सूद जुस्तुजू कैसीजो ख़्वाब ख़्वाब रहीं उन की आरज़ू कैसी
सुख़नवरी का ये बे-सूद कारोबार है क्याजुनून-ए-शीशा-गरी का मआल-ए-कार है क्या
बहें न आँख से आँसू तो नग़्मगी बे-सूदखिलें न फूल तो रंगीनी-ए-फ़ुग़ाँ क्या है
हुआ जब टूटना अबतर नवा बे-सूद शीशे काउठा शहर-ए-क़ज़ा में मुद्दआ' ना-बूद शीशे का
उन्हें ये ज़ोम कि बे-सूद है सदा-ए-सुख़नहमें ये ज़िद कि इसी हाव-हू में फूल खिले
रहम-ए-मादर से निकलना मिरा बे-सूद हुआआज भी क़ैद हूँ मैं
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