aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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Saleem Kausar
born.1947
Poet
Hafeez Hoshiarpuri
1912 - 1973
Saleem Ahmed
1927 - 1983
Saleem Siddiqui
born.1975
Salim Saleem
born.1985
Saleem Betab
1940 - 1974
Saleem Shahzad
born.1949
Author
Yusuf Salim Chishti
1896 - 1984
Saleem Figar
born.1972
Saleem Shahid
Saleem Sarfaraz
Saleem Akhtar
born.1934
Syed Wahidudeen Salim
1869 - 1927
Sardar Saleem
born.1973
Saleem Ansari
born.1962
jo guzaarii na jaa sakii ham seham ne vo zindagii guzaarii hai
अगर मेरी तस्वीरकशी सक़ीम और ख़ाम है तो हुआ करे, मुझे इससे क्या और अगर ये उनके मुक़र्रर कर्दा मे’यार पर पूरा उतरती है तो भी मुझे इससे क्या सरोकार हो सकता है। मैं ये कहानियां सिर्फ़ इसलिए लिखता हूँ कि मुझे कुछ लिखना होता है। जिस तरह आदी शराबखोर...
लड़कों और लड़कियों के मआशिक़ों का ज़िक्र हो रहा था। प्रकाश जो बहुत देर से ख़ामोश बैठा अंदर ही अंदर बहुत शिद्दत से सोच रहा था, एक दम फट पड़ा, "सब बकवास है, सौ में से निन्नानवे मआशिक़े निहायत ही भोंडे और लच्चर और बेहूदा तरीक़ों से अमल में आते...
जज़ीरे की फ़ज़ा और चांद की रौशनी विल्सन के दिमाग़ पर इस क़दर ग़ालिब आई कि उसने बैंक की मुलाज़मत तर्क कर दी। अगर वो चंद बरस और वहां रहता तो उसे मा’क़ूल पेंशन मिल जाती। मगर उसने उसकी मुतलक़ पर्वा न की। अलबत्ता बैंक वालों ने उसे उसकी ख़िदमात...
उसने लिखा था, “हैरत है, इस समय जब “दरख़्त उगाओ” स्कीम बड़े पैमाने पर चल रही है, हमारे मुल्क़ में ऐसे सरकारी अफ़सर मौज़ूद हैं जो दरख़्त काटने का मशवरा देते हैं, वह भी एक फलदार दरख़्त को! और फिर जामुन के दरख़्त को! जिस के फल अवाम बड़ी रग़बत...
स्कीमسکیم
scheme
Sharh-e-Deewan-e-Ghalib
Exegesis
Tanqeedi Dabistan
Criticism
Bang-e-Dara
Urdu Adab Ki Mukhtasar Tareen Tareekh
History
Bal-e-Jibreel
Sharh-e-Asrar-e-Khudi
Nafsiyati Tanqeed
Mazameen-e-Saleem Ahmad
Articles / Papers
Asrar-e-Khudi
Waza-e-Istilahat
Non Fiction
Armughan-e-Hijaz
Sharh-e-Javed Nama
Afsana: Haqeeqat Se Alamat Tak
Fiction Criticism
फ़सादात अभी शुरू नहीं हुए थे बल्कि यूं कहना चाहिए कि तक़सीम की बात भी अभी नहीं चली थी कि चवन्नी लाल की बहुत दिनों की मुराद पूरी होती नज़र आई। एक बहुत ही बड़े अफ़सर थे जिससे चवन्नी लाल की जान पहचान न हो सकी थी। एक दफ़ा उसके...
जनाब-ए-वाला। कलकत्ता, हिन्दुस्तान का सबसे बड़ा शहर है। हावड़ा पुल हिन्दोस्तान का सबसे अ’जीब-ओ-ग़रीब पुल है। बंगाली क़ौम हिन्दोस्तान की सबसे ज़हीन क़ौम है। कलकत्ता यूनीवर्सिटी हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी यूनीवर्सिटी है। कलकत्ता का सोना गाची हिन्दोस्तान में तवाइफ़ों का सबसे बड़ा बाज़ार है। कलकत्ता का सुंदर बन चीतों की...
वक़्त आया तो उसने अपनी सारी स्कीम दादा करीम को बता दी। एक हज़ार रुपये तय हुए। हामिद ने फ़ौरन दे दिए। दादा करीम ने कहा, “इतना छोटा बच्चा मुझसे नहीं मारा जाएगा। मैं लाकर तुम्हारे हवाले कर दूँगा। आगे तुम जानो और तुम्हारा काम। वैसे ये राज़ मेरे सीने...
ब-फ़र्ज़-ए-मुहाल सतर पोशी पर कंट्रोल नामुमकिन हो या तर्क-ए-लिबास की स्कीम पर बुज़ुर्गान-ए-क़ौम जामे से बाहर हो जाएँ और धोबी एजिटेशन की नौबत आए तो फिर मुल्क के तूल-ओ-अर्ज़ में “भारत भभूत भंडार” खोल दिए जाएँ। उस वक़्त हम सब सर जोड़कर और एक दूसरे के कान पकड़ कर ऐसे...
अब्बा मियाँ का ग़ुस्सा वो हम लोगों पर उतारने लगीं। हम लोग उदास हो कर उनसे ज़रा दूर हट आए और दिल में दुआएँ माँगने लगे, काश अब्बा मियाँ हमारे लिए एक फ़र्स्ट क्लास सी अम्माँ ले आएँ ताकि आए दिन के झगड़े से कुछ तो मोहलत मिले और सुख...
नसीर ने सिगरेट का एक लंबा कश लिया, “परसों की मुलाक़ात में जो कुछ तय हुआ था, मैं आपको बता चुका हूँ। तोफ़ी बहुत ख़ुश था। अपने ख़याल के मुताबिक़ वो एक बहुत बड़ा मैदान मारने वाला था। आज दिन भर वो स्कीमें बनाता रहा... पैट्रोल का इंतिज़ाम उसने कर...
कैम्पों में धड़ा धड़ आदमी मर रहे थे। कभी हैज़ा फूटता था कभी प्लेग। हस्पतालों में तिल धरने को जगह नहीं थी। मुझे बहुत तरस आया, क़रीब था कि एक हस्पताल बनवा दूं मगर सोचने पर इरादा तर्क कर दिया। पूरी स्कीम तैयार कर चुका था। इमारत के लिए टेंडर...
ज़रूरत है कि सही मा'नों में कोई माक़ूल रोज़ाना अख़बार निकाला जाए। मगर मा'क़ूलीयत के लिए चूँकि माली ज़राए का वसीअ' होना ज़रूरी था, इसलिए फ़िलहाल सिर्फ़ एक पैसे वाले ज़मीमे ही पर इकतिफ़ा किया जाता। उसका कुछ ज़ियादा ख़र्च भी न होगा। यही बीस पच्चीस रुपये रोज़। इतने के...
बत्तियाँ पूरे आधे घंटे बा’द आईं। अब ख़ुदा जाने ये जमाली मलिक की स्कीम थी या वापडा वालों की साज़िश थी। बिजली चले जाने के कोई दस मिनट बा’द बीबी के दरवाज़े पर दस्तक हुई। डरी हुई आवाज़ में बीबी ने जवाब दिया, “कम इन।” हाथ में शम्अ’-दान लिए जमाली...
मैंने सोचा कि ये इफ़्तख़ार की हरकत है। उसने जबकि में सो रहा था बावर्चीख़ाने के काम से फ़ारिग़ हो कर ट्रे में वो पास देखा और उसको मेज़ के नीचे वाली दराज़ में फाइलों के अंदर छुपा दिया। रात कर्फ्यू था इसलिए वो बाहर नहीं जा सकता था। उसकी...
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