aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "miir-mirzaa"
'मीर'-ओ-'मिर्ज़ा-रफ़ी' व 'ख़्वाजा-मीर'कितने इक ये जवान होते हैं
आशिक़ हूँ प माशूक़-फ़रेबी है मिरा काममजनूँ को बुरा कहती है लैला मिरे आगे
और बाज़ार से ले आए अगर टूट गयासाग़र-ए-जम से मिरा जाम-ए-सिफ़ाल अच्छा है
क्या वो नमरूद की ख़ुदाई थीबंदगी में मिरा भला न हुआ
मिरा राज़-ए-दिल आश्कारा नहींवो दरिया हूँ जिस का किनारा नहीं
लाज़िम था कि देखो मिरा रस्ता कोई दिन औरतन्हा गए क्यूँ अब रहो तन्हा कोई दिन और
यूँ तो हरगिज़ नहीं आने की तुम्हें नींद मगरमुझ से क़िस्सा मिरा कहवाइए और सो रहिए
दिल मिरा आज मेरे पास नहींमुझ में कुछ होश और हवास नहीं
ले जाऊँ अब मैं याँ से कहाँ अपना आशियाँदुश्मन है इस चमन में मिरा ख़ार ख़ार तक
ऐसा तो वो नहीं जो मिरा चारासाज़ होफिर फ़ाएदा कहे से जो कुछ हाल है सो है
उन्हों का जल रहा है दिल ख़ुदा जाने कि क्या बोलेंमिरा अहवाल कोई मेरे ग़म-ख़्वारों से मत पूछो
ज़िक्र छेड़े कोई अब क्यूँकि मिरा उस के हुज़ूरवाँ तो हर बात में तेग़-ओ-सिपर आ जाती है
बारे तो आन ही पहुँचा मिरा जी शाद हुआमैं ने अब जाना कि हैं दोनों के असरार मिले
घर जब बना लिया तिरे दर पर कहे बग़ैरजानेगा अब भी तू न मिरा घर कहे बग़ैर
'ग़ालिब' भी गर न हो तो कुछ ऐसा ज़रर नहींदुनिया हो या रब और मिरा बादशाह हो
क्या बयाँ कर के मिरा रोएँगे यारमगर आशुफ़्ता-बयानी मेरी
दिल मिरा सोज़-ए-निहाँ से बे-मुहाबा जल गयाआतिश-ए-ख़ामोश की मानिंद गोया जल गया
था ज़िंदगी में मर्ग का खटका लगा हुआउड़ने से पेश-तर भी मिरा रंग ज़र्द था
मा'ज़ूर हूँ जो पाँव मिरा बे-तरह पड़ेतुम सरगिराँ तो मुझ से न हो मैं नशे में हूँ
आतिश-कदा है सीना मिरा राज़-ए-निहाँ सेऐ वाए अगर मा'रिज़-ए-इज़हार में आवे
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