बेस्ट दर शायरी
तुम्हारे घर में दरवाज़ा है लेकिन तुम्हें ख़तरे का अंदाज़ा नहीं है
हमें ख़तरे का अंदाज़ा है लेकिन हमारे घर में दरवाज़ा नहीं है
ख़्वाब का दरवाज़ा कुइ मसदूद कर देता है रोज़
पड़ते हैं रातों को याँ ऐसे ही पत्थर ख़्वाब में
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
तुम्हारे घर में दरवाज़ा है लेकिन तुम्हें ख़तरे का अंदाज़ा नहीं है
हमें ख़तरे का अंदाज़ा है लेकिन हमारे घर में दरवाज़ा नहीं है
ख़्वाब का दरवाज़ा कुइ मसदूद कर देता है रोज़
पड़ते हैं रातों को याँ ऐसे ही पत्थर ख़्वाब में
Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi
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