बेस्ट शाम शायरी
उर्दू शायरी में शाम का दिलचस्प इस्तेमाल किया गया है | क्लासिक शायर से लेकर पोस्टमॉडर्न शायरों तक शाम का ख़ूबसूरत सफ़र रहा है | पेश है चंद शायरी शाम के नाम |
शाम भी है सुब्ह भी है और दिन भी रात भी
माह-ए-ताबाँ अब भी है महर-ए-दरख़्शाँ अब भी है