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बेस्ट मिन्नत शायरी

ख़ुशामद ताबेदारी मिन्नत-ओ-ख़िदमत सुजूद-ए-हुस्न

अज़ल से दीदनी है बेबसी-ओ-आजिज़ी-ए-इश्क़

दीपक पुरोहित

मैं ने मिन्नत कभी की हो तो बता दें ज़ाहिद

कौन से रोज़ सिफ़ारिश को गुनहगार आया

लाला माधव राम जौहर

हर नफ़स मिन्नत-कश-ए-आलाम है

ज़िंदगी शायद इसी का नाम है

अकबर हैदरी कश्मीरी

दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा हुआ

मैं अच्छा हुआ बुरा हुआ

मिर्ज़ा ग़ालिब

वहशत में भी मिन्नत-कश-ए-सहरा नहीं होते

कुछ लोग बिखर कर भी तमाशा नहीं होते

ज़ेहरा निगाह

कब ये दिल दिमाग़ है मिन्नत-ए-शम्अ खींचिए

ख़ाना-ए-दिल-जलों के बीच दाग़-ए-जिगर चराग़ है

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

करता रहा मैं मिन्नतें कम की कुछ दुआ

हासिल हुआ कुछ तो ख़ुदा बे-असर लगा

उज़ैर रहमान

मिन्नत-ओ-आजिज़ी ज़ारी-ओ-आह

तेरे आगे हज़ार कर देखा

मीर मोहम्मदी बेदार

फ़ना होने में सोज़-ए-शम'अ की मिन्नत-कशी कैसी

जले जो आग में अपनी उसे परवाना कहते हैं

मुंशी नौबत राय नज़र लखनवी

हाए उस मिन्नत-कश-ए-वहम-ओ-गुमाँ की जुस्तुजू

ज़िंदगी जिस को पाए जो पाए ज़िंदगी

शौकत परदेसी

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