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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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बेस्ट प्रोपोज़ शायरी

इश्क़ के इज़हार में हर-चंद रुस्वाई तो है

पर करूँ क्या अब तबीअत आप पर आई तो है

अकबर इलाहाबादी

तुझ से किस तरह मैं इज़हार-ए-तमन्ना करता

लफ़्ज़ सूझा तो मआ'नी ने बग़ावत कर दी

अहमद नदीम क़ासमी

मुझ से नफ़रत है अगर उस को तो इज़हार करे

कब मैं कहता हूँ मुझे प्यार ही करता जाए

इफ़्तिख़ार नसीम

इज़हार-ए-इश्क़ उस से करना था 'शेफ़्ता'

ये क्या किया कि दोस्त को दुश्मन बना दिया

मुस्तफ़ा ख़ाँ शेफ़्ता

कीजे इज़हार-ए-मोहब्बत चाहे जो अंजाम हो

ज़िंदगी में ज़िंदगी जैसा कोई तो काम हो

प्रियंवदा इल्हान

उन से इज़हार-ए-मोहब्बत जो कोई करता है

दूर से उस को दिखा देते हैं तुर्बत मेरी

जलील मानिकपूरी

ये आँसू ये पशेमानी का इज़हार

मुझे इक बार फिर बहका गई हो

ज़िया जालंधरी

यूँ तो अश्कों से भी होता है अलम का इज़हार

हाए वो ग़म जो तबस्सुम से अयाँ होता है

मक़बूल नक़्श

चलो कि जज़्बा-ए-इज़हार चीख़ में तो ढला

किसी तरह इसे आख़िर अदा भी होना था

राजेन्द्र मनचंदा बानी

क्यूँ 'तनवीर' फिर इज़हार की जुरअत कीजे

ख़ामुशी भी तो यहाँ बाइस-ए-रुस्वाई है

तनवीर सामानी

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