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बेस्ट रिश्ता शायरी

दुश्मनी लाख सही ख़त्म कीजे रिश्ता

दिल मिले या मिले हाथ मिलाते रहिए

निदा फ़ाज़ली

अपना रिश्ता ज़मीं से ही रक्खो

कुछ नहीं आसमान में रक्खा

जौन एलिया

ग़म से मंसूब करूँ दर्द का रिश्ता दे दूँ

ज़िंदगी तुझे जीने का सलीक़ा दे दूँ

अली अहमद जलीली

सगी बहनों का जो रिश्ता है उर्दू और हिन्दी में

कहीं दुनिया की दो ज़िंदा ज़बानों में नहीं मिलता

मुनव्वर राना

ये जब है कि इक ख़्वाब से रिश्ता है हमारा

दिन ढलते ही दिल डूबने लगता है हमारा

शहरयार

एक रिश्ता जिसे मैं दे सका कोई नाम

एक रिश्ता जिसे ता-उम्र निभाए रक्खा

अक्स समस्तीपुरी

एक रिश्ता भी मोहब्बत का अगर टूट गया

देखते देखते शीराज़ा बिखर जाता है

नुशूर वाहिदी

तेरा मेरा कोई रिश्ता तो नहीं है लेकिन

मैं ने जो ख़्वाब में देखा है कोई देख ले

जावेद सबा

ज़ाहिरन तोड़ लिया हम ने बुतों से रिश्ता

फिर भी सीने में सनम-ख़ाना बसा है यारो

आमिर उस्मानी

उस मोड़ पे रिश्ता है हमारा कि अगर हम

बैठेंगे कभी साथ तो तन्हाई बनेगी

ज़िया ज़मीर

रिश्ता रहा अजीब मिरा ज़िंदगी के साथ

चलता हो जैसे कोई किसी अजनबी के साथ

सय्यद शकील दस्नवी

रिश्ता-ए-उल्फ़त को ज़ालिम यूँ बेदर्दी से तोड़

दिल तो फिर जुड़ जाएगा लेकिन गिरह रह जाएगी

अज्ञात

फ़रिश्ता हर बशर को हर ज़मीं को आसमाँ समझे

कि हम तो इश्क़ में दुनिया को ही जन्नत-निशाँ समझे

जितेन्द्र मोहन सिन्हा रहबर

आदमी का अमल से रिश्ता है

काम आता नहीं नसब कुछ भी

अतहर नादिर

है रिश्ता एक फिर ये कशाकश चाहिए

अच्छा नहीं है सुब्हा का ज़ुन्नार से बिगाड़

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

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