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बेस्ट नाराज़ शायरी

नज़र भर के जो देख सकते हैं तुझ को

मैं उन की नज़र देखना चाहता हूँ

ताजवर नजीबाबादी

नज़र आती नहीं अब दिल में तमन्ना कोई

बाद मुद्दत के तमन्ना मिरी बर आई है

अल्ताफ़ हुसैन हाली

नज़र बचा के जो आँसू किए थे मैं ने पाक

ख़बर थी यही धब्बे बनेंगे दामन के

आरज़ू लखनवी

नज़र बचा के गुज़र जाएँ मुझ से वो लेकिन

मेरे ख़याल से दामन बचा नहीं सकते

अज्ञात

नज़र और वुसअत-ए-नज़र मालूम

इतनी महदूद काएनात नहीं

माइल लखनवी

नज़र आता नहीं अब घर में वो भी उफ़ रे तन्हाई

इक आईने में पहले आदमी था मेरी सूरत का

नातिक़ गुलावठी

नज़र आती हैं सू-ए-आसमाँ कभी बिजलियाँ कभी आँधियाँ

कहीं जल जाए ये आशियाँ कहीं उड़ जाएँ ये चार पर

मुनव्वर बदायुनी

नज़र आती नहीं सड़कों पे लाशें

अमीर-ए-शहर अंधा हो गया है

इश्तियाक तालिब

नज़र आता नहीं मुझ कूँ सबब क्या

मिरा नाज़ुक बदन हैहात हैहात

सिराज औरंगाबादी

नज़र आती है सारी काएनात-ए-मै-कदा रौशन

ये किस के साग़र-ए-रंगीं से फूटी है किरन साक़ी

एहसान दरबंगावी

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

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