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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Rais Farogh's Photo'

रईस फ़रोग़

1926 - 1982 | कराची, पाकिस्तान

नई ग़ज़ल के अग्रणी पाकिस्तानी शायरों में विख्यात।

नई ग़ज़ल के अग्रणी पाकिस्तानी शायरों में विख्यात।

रईस फ़रोग़ के शेर

फ़स्ल तुम्हारी अच्छी होगी जाओ हमारे कहने से

अपने गाँव की हर गोरी को नई चुनरिया ला देना

मेरा भी एक बाप था अच्छा सा एक बाप

वो जिस जगह पहुँच के मरा था वहीं हूँ मैं

इश्क़ वो कार-ए-मुसलसल है कि हम अपने लिए

एक लम्हा भी पस-अंदाज़ नहीं कर सकते

आएगा मेरे बाद 'फ़रोग़' इन का ज़माना

जिस दौर का मैं हूँ मिरे अशआर नहीं हैं

अपने हालात से मैं सुल्ह तो कर लूँ लेकिन

मुझ में रू-पोश जो इक शख़्स है मर जाएगा

हुस्न को हुस्न बनाने में मिरा हाथ भी है

आप मुझ को नज़र-अंदाज़ नहीं कर सकते

इक यही दुनिया बदलती है 'फ़रोग़'

कैसी कैसी अजनबी दुनियाओं में

मैं ने कितने रस्ते बदले लेकिन हर रस्ते में 'फ़रोग़'

एक अंधेरा साथ रहा है रौशनियों के हुजूम लिए

लोग अच्छे हैं बहुत दिल में उतर जाते हैं

इक बुराई है तो बस ये है कि मर जाते हैं

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