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Rajinder Singh Bedi
Short story 43
Article 3
Quote 12
बीवी आपसे कितनी नफ़रत करती है, इसका उस वक़्त तक पता नहीं चलता, जब तक मेहमान घर में न आए। जैसे आपको भूलने के सिवा कुछ नहीं आता, ऐसे ही बीवी याद रखने के सिवा और कुछ नहीं जानती। जाने कब का बुग़्ज़ आपके ख़िलाफ़ सीने में लिए बैठी है जो मेहमान के आते ही पंडोरा बॉक्स की तरह आपके सिर पर उलट देती है।
फ़न किसी शख़्स में सोते की तरह नहीं फूट निकलता। ऐसा नहीं कि आज रात आप सोएँगे और सुब्ह फ़नकार हो कर जागेंगे। ये नहीं कहा जा सकता कि फ़ुलाँ आदमी पैदाइशी तौर पर फ़नकार है, लेकिन ये ज़रूर कहा जा सकता है कि उसमें सलाहियतें हैं, जिनका होना बहुत ज़रूरी है, चाहे वो उसे जिबिल्लत में मिलें और या वो रियाज़त से उनका इक्तिसाब करे। पहली सलाहियत तो ये कि वो हर बात को दूसरों के मुक़ाबले में ज़ियादा महसूस करता हो, जिसके लिए एक तरफ़ तो वो दाद-ओ-तहसीन पाए और दूसरी तरफ़ ऐसे दुःख उठाए जैसे कि उसके बदन पर से खाल खींच ली गई हो और उसे नमक की कान से गुज़रना पड़ रहा हो।
Tanz-o-Mazah 1
Khaka 1
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