संपूर्ण
परिचय
ग़ज़ल64
नज़्म1
शेर92
ई-पुस्तक43
टॉप 20 शायरी 20
चित्र शायरी 4
ऑडियो 9
वीडियो10
रुबाई5
नअत1
आरज़ू लखनवी की टॉप 20 शायरी
किस ने भीगे हुए बालों से ये झटका पानी
झूम के आई घटा टूट के बरसा पानी
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
वफ़ा तुम से करेंगे दुख सहेंगे नाज़ उठाएँगे
जिसे आता है दिल देना उसे हर काम आता है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
बुरी सरिश्त न बदली जगह बदलने से
चमन में आ के भी काँटा गुलाब हो न सका
-
टैग : काँटा
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
जो दिल रखते हैं सीने में वो काफ़िर हो नहीं सकते
मोहब्बत दीन होती है वफ़ा ईमान होती है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
भोले बन कर हाल न पूछ बहते हैं अश्क तो बहने दो
जिस से बढ़े बेचैनी दिल की ऐसी तसल्ली रहने दो
-
टैग : बेचैनी
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
हद से टकराती है जो शय वो पलटती है ज़रूर
ख़ुद भी रोएँगे ग़रीबों को रुलाने वाले
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
ख़मोशी मेरी मअनी-ख़ेज़ थी ऐ आरज़ू कितनी
कि जिस ने जैसा चाहा वैसा अफ़्साना बना डाला
-
टैग : ख़ामोशी
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
दफ़अतन तर्क-ए-तअल्लुक़ में भी रुस्वाई है
उलझे दामन को छुड़ाते नहीं झटका दे कर
-
टैग : रुस्वाई
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
फिर चाहे तो न आना ओ आन बान वाले
झूटा ही वअ'दा कर ले सच्ची ज़बान वाले
-
टैग : वादा
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
तेरे तो ढंग हैं यही अपना बना के छोड़ दे
वो भी बुरा है बावला तुझ को जो पा के छोड़ दे
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
शौक़ चढ़ती धूप जाता वक़्त घटती छाँव है
बा-वफ़ा जो आज हैं कल बे-वफ़ा हो जाएँगे
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
जिस क़दर नफ़रत बढ़ाई उतनी ही क़ुर्बत बढ़ी
अब जो महफ़िल में नहीं है वो तुम्हारे दिल में है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
मोहब्बत नेक-ओ-बद को सोचने दे ग़ैर-मुमकिन है
बढ़ी जब बे-ख़ुदी फिर कौन डरता है गुनाहों से
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
हाथ से किस ने साग़र पटका मौसम की बे-कैफ़ी पर
इतना बरसा टूट के बादल डूब चला मय-ख़ाना भी
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
खिलना कहीं छुपा भी है चाहत के फूल का
ली घर में साँस और गली तक महक गई
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
जो कुछ था न कहने का सब कह गया दीवाना
समझो तो मुकम्मल है अब इश्क़ का अफ़्साना
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
सुकून-ए-दिल नहीं जिस वक़्त से उस बज़्म में आए
ज़रा सी चीज़ घबराहट में क्या जाने कहाँ रख दी
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
वाए ग़ुर्बत कि हुए जिस के लिए ख़ाना-ख़राब
सुन के आवाज़ भी घर से न वो बाहर निकला
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
हर साँस है इक नग़्मा हर नग़्मा है मस्ताना
किस दर्जा दुखे दिल का रंगीन है अफ़्साना
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया