aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
1690 - 1738 | दिल्ली, भारत
मीर से पहले के मशहूर शायर, उर्दू शायरी के संस्थापक
उश्शाक़ जाँ-ब-कफ़ खड़े हैं तेरे आस-पास
ऐ दिल-रुबा-ए-ग़ारत-ए-जाँ अपने फ़न में आ
गुड़ सीं मीठा है बोसा तुझ लब का
इस जलेबी में क़ंद ओ शक्कर है
जब सजीले ख़िराम करते हैं
हर तरफ़ क़त्ल-ए-आम करते हैं
तेरे मिलाप बिन नहीं 'फ़ाएज़' के दिल को चैन
ज्यूँ रूह हो बसा है तू उस के बदन में आ
वही क़द्र 'फ़ाएज़' की जाने बहुत
जिसे इश्क़ का ज़ख़्म कारी लगे
Deewan-e-Faaiz
1946
Faaiz Dehlvi Aur Deewan-e-Faaiz
फ़ाइज़ देहलवी और उसका दीवान
इंतिख़ाब कलाम-ए-फ़ाइज़
1991
Shumali Hind Mein Urdu Ka Pahla Sahab-e-Deewan Shair Faez Dehlvi Aur Uska Deewan
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