ग़ज़नफ़र हाशमी
ग़ज़ल 3
अशआर 1
अजब तरह का अधूरापन है मिरे बयाँ में
सो मेरा क़िस्सा कहीं सुनाने में रह गया है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere