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ग़ज़ल 16
शेर 18
मिरे क़बीले में ता'लीम का रिवाज न था
मिरे बुज़ुर्ग मगर तख़्तियाँ बनाते थे
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टैग : इल्म
जहाँ जो था वहीं रहना था उस को
मगर ये लोग हिजरत कर रहे हैं
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टैग : सोशल डिस्टेन्सिंग शायरी
वीडियो 3
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