aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "'akhtar'"
जावेद अख़्तर
born.1945
शायर
साग़र सिद्दीक़ी
1928 - 1974
जाँ निसार अख़्तर
1914 - 1976
अख़्तर शीरानी
1905 - 1948
अख़्तरुल ईमान
1915 - 1996
अख़्तर शुमार
1960 - 2022
अख़्तर अंसारी
1909 - 1988
सलमान अख़्तर
born.1946
वाजिद अली शाह अख़्तर
1823 - 1887
अख़्तर उस्मान
born.1967
अख़्तर सईद ख़ान
1923 - 2006
इमरान आमी
born.1980
अख़्तर होशियारपुरी
1918 - 2007
हरी चंद अख़्तर
1900 - 1958
अख़्तर नज़्मी
1930 - 1997
आहट सी कोई आए तो लगता है कि तुम होसाया कोई लहराए तो लगता है कि तुम हो
अशआ'र मिरे यूँ तो ज़माने के लिए हैंकुछ शेर फ़क़त उन को सुनाने के लिए हैं
जिधर जाते हैं सब जाना उधर अच्छा नहीं लगतामुझे पामाल रस्तों का सफ़र अच्छा नहीं लगता
ये इल्म का सौदा ये रिसाले ये किताबेंइक शख़्स की यादों को भुलाने के लिए हैं
किसी के तुम हो किसी का ख़ुदा है दुनिया मेंमिरे नसीब में तुम भी नहीं ख़ुदा भी नहीं
सबसे लोकप्रिय उर्दू शायरों में से एक। गहरी रूमानी शायरी के लिए प्रसिद्ध
जाँ निसार अख़्तर को एक शायर के तौर पर उनकी नुमायाँ ख़िदमात के लिए पहचाना जाता है। जिन्हों ने रुमानवी और इन्क़िलाबी दोनों मौज़ूआत में महारत हासिल की। हम यहाँ उनकी कुछ नज़्मों का इंतिख़ाब पेश कर रहे हैं। पढ़िए और लुत्फ़ उठाइये।
बेगम अख़्तर की गाई हुईं 10 मशहूर ग़ज़लें
Tanqeedi Dabistan
सलीम अख़्तर
आलोचना
उर्दू अदब की मुख़्तसर तरीन तारीख़
इतिहास
Gard-e-Rah
अख़्तर हुसैन रायपुरी
आत्मकथा
Tahqeeq Ke Tariqa-e-Kar
शीन अख्तर
शोध
Nafsiyati Tanqeed
Bedil
ख़्वाजा इबादुल्ला अख़्तर
शायरी तन्क़ीद
ज़ेर-ए-लब
सफ़िया अख़्तर
इतिहास एवं समीक्षा
Dhanak Par Qadam
अख़्तर रियाज़ुद्दीन
सफ़र-नामा / यात्रा-वृतांत
Urdu Adab Ki Mukhtasar Tareen Tareekh
Adab aur Inqilab
Chaaki Wara Mein Visal
मोहम्मद ख़ालिद अख़्तर
नॉवेल / उपन्यास
khwaja Meer Dard
वहीद अख़्तर
नक्शबंदिया
Lava
काव्य संग्रह
Electronic Media Ki Tareekh
डॉ. सय्यद सुलैमान अख़्तर
पत्रकारिता
लोग कहते हैं कि तू अब भी ख़फ़ा है मुझ सेतेरी आँखों ने तो कुछ और कहा है मुझ से
वो ज़हर देता तो सब की निगह में आ जातासो ये किया कि मुझे वक़्त पे दवाएँ न दीं
सौ चाँद भी चमकेंगे तो क्या बात बनेगीतुम आए तो इस रात की औक़ात बनेगी
कभी जो ख़्वाब था वो पा लिया हैमगर जो खो गई वो चीज़ क्या थी
जीना मुश्किल है कि आसान ज़रा देख तो लोलोग लगते हैं परेशान ज़रा देख तो लो
याद उसे भी एक अधूरा अफ़्साना तो होगाकल रस्ते में उस ने हम को पहचाना तो होगा
याद-ए-माज़ी 'अज़ाब है या-रबछीन ले मुझ से हाफ़िज़ा मेरा
ऐ इश्क़ न छेड़ आ आ के हमें हम भूले हुओं को याद न करपहले ही बहुत नाशाद हैं हम तू और हमें नाशाद न कर
मैं वो सहरा जिसे पानी की हवस ले डूबीतू वो बादल जो कभी टूट के बरसा ही नहीं
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