aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "'farah'"
अहमद फ़राज़
1931 - 2008
शायर
फ़रह इक़बाल
अज़हर फ़राग़
born.1980
फ़रह शाहिद
ताहिर फ़राज़
फ़रहत क़ादरी
1928 - 2016
फ़राग़ रोहवी
1956 - 2020
फ़रह ख़ान
born.1970
सय्यदा फ़रह शाह
born.1960
उमर ख़य्याम
1048 - 1131
लेखक
फ़रह रिज़वी
born.1973
अली फ़राज़ रिज़वी
born.2002
आसिमा फ़राज़
born.1985
फ़राज़ सुल्तानपूरी
फ़राज़ महमूद फ़ारिज़
born.1993
अब उस के शहर में ठहरें कि कूच कर जाएँ'फ़राज़' आओ सितारे सफ़र के देखते हैं
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आआ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
सय्यद अबुल-फ़रह सैदवाइल-वास्ती के पोतेमीराँ सय्यद-'अली'-बुज़ुर्ग के पोते
यूँ न था मैं ने फ़क़त चाहा था यूँ हो जाएऔर भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा
अब न वो मैं न वो तू है न वो माज़ी है 'फ़राज़'जैसे दो शख़्स तमन्ना के सराबों में मिलें
अहमद फ़राज़ पिछली सदी के प्रख्यात शायरों में शुमार किए जाते हैं। अपने समकालीन में बेहद सादा और अद्वितीय शैली की वजह से उनकी शायरी ख़ास अहमियत की हामिल है। रेख़्ता फ़राज़ के 20 लोकप्रिय और सबसे ज़्यादा पढ़े गए शेर पेश कर रहा है जिसने पाठकों पर जादू ही नहीं किया बल्कि उनके दिलों को मोह लिया । इन शेरों का चुनाव बहुत आसान नहीं था। हम जानते हैं कि अब भी फ़राज़ के बहुत से लोकप्रिय शेर इस सूची में नहीं हैं। इस सिलसिले में आपकी राय का स्वागत है। अगर हमारे संपादक मंडल को आप का भेजा हुआ शेर पसंद आता है तो हम इसको नई सूची में शामिल करेंगे।उम्मीद है कि आपको हमारी ये कोशिश पसंद आई होगी और आप इस सूची को संवारने और आरास्ता करने में हमारी मदद करेंगें ।
उर्दू शायरी का एक कमाल ये भी है कि इस में बहुत सी ऐसी लफ़्ज़ियात जो ख़ालिस मज़हबी तनाज़ुर से जुड़ी हुई थीं नए रंग और रूप के साथ बरती गई हैं और इस बरताव में उनके साबिक़ा तनाज़ुर की संजीदगी की जगह शगुफ़्तगी, खुलेपन, और ज़रा सी बज़्ला-संजी ने ले ली है। दुआ का लफ़्ज़ भी एक ऐसा ही लफ़्ज़ है। आप इस इन्तिख़ाब में देखेंगे कि किस तरह एक आशिक़ माशूक़ के विसाल की दुआएँ करता है, उस की दुआएँ किस तरह बे-असर हैं। कभी वो इश्क़ से तंग आ कर तर्क-ए-इश्क़ की दुआ करता है लेकिन जब दिल ही न चाहे तो दुआ में असर कहाँ। इस तरह की और बहुत सी पुर-लुत्फ़ सूरतों हमारे इस इन्तिख़ाब में मौजूद हैं।
'फ़रह'فرحؔ
Pen name
Sir Syed Ahmad Khan
फरह जावेद
आलोचना
Sir Sayyed Ahmad Khan ek Mufakkir-e-Islam
शोध
Janan Janan
काव्य संग्रह
Tareekh Farah Bakhsh
मुंशी फ़ैज़ बख़्श काकोरवी
Koi Bhi Rut Ho
Kulliyat-e-Ahmad Faraz
कुल्लियात
अहमद फ़राज़ की मुंतख़ब शायरी
एम.एच.के. क़ुरैशी
संकलन
Shahr-e-Sukhan Aarasta Hai
Urdu Fiction Aur Aligarh
Miftah-ul-Lughaat
अबुल फ़तह अज़ीज़ी
शब्द-कोश
Kalam-e-Ahmad Faraz
Ahamad Faraz Shakhsiyat Aur Shayari
अब्दुल क़ादिर ग़यासुद्दीन फ़ारूक़ी
जीवनी
Khwab-e-Gul Pareshan Hai
Majmua-e-Ahmad Faraz
Kashkol
उठा कर क्यों न फेंकें सारी चीज़ेंफ़क़त कमरों में टहला क्यों करें हम
प्यार भरी नज़रों से 'फ़रह' जब उस ने देखा थाबस वो ही लम्हात थे मेरे और दिसम्बर था
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलेंजिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें
ये हँसता मुस्कुराता क़ाफ़िला जो चाँद तारों का'फ़रह' आगे निकल जाए तो शायद नींद आ जाए
उरूसी की शब की हलावत थी हासिलफ़रह-नाक थी रूह दिल शादमाँ था
ज़माना झुक गया होता अगर लहजा बदल लेतेमगर मंज़िल नहीं मिलती अगर रस्ता बदल लेते
भले दिनों की बात हैभली सी एक शक्ल थी
सारे मंज़र दिलकश थे हर बात सुहानी लगती थीजीवन की हर शाम हमें तब एक कहानी लगती थी
कभी तुम भीगने आना मिरी आँखों के मौसम मेंबनाना मुझ को दीवाना मिरी आँखों के मौसम में
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