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ग़ज़ल
या-रब ये मक़ाम-ए-इश्क़ है क्या गो दीदा-ओ-दिल नाकाम नहीं
तस्कीन है और तस्कीन नहीं आराम है और आराम नहीं
जिगर मुरादाबादी
नज़्म
वालिदा मरहूमा की याद में
आँख पर होता है जब ये सिर्र-ए-मजबूरी अयाँ
ख़ुश्क हो जाता है दिल में अश्क का सैल-ए-रवाँ
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
इश्क़ में तेरे कोह-ए-ग़म सर पे लिया जो हो सो हो
ऐश-ओ-निशात-ए-ज़िंदगी छोड़ दिया जो हो सो हो
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
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विषय
आशोब
आशोब शायरी
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नज़्म
ख़ाक-ए-हिंद
इल्म-ओ-कमाल ओ ईमाँ बर्बाद हो रहे हैं
ऐश-ओ-तरब के बंदे ग़फ़लत में सो रहे हैं
चकबस्त बृज नारायण
ग़ज़ल
ओबैदुर रहमान
ग़ज़ल
ये ऐश-ओ-तरब के मतवाले बे-कार की बातें करते हैं
पायल के ग़मों का इल्म नहीं झंकार की बातें करते हैं
शकील बदायूनी
ग़ज़ल
न की सामान-ए-ऐश-ओ-जाह ने तदबीर वहशत की
हुआ जाम-ए-ज़मुर्रद भी मुझे दाग़-ए-पलंग आख़िर
मिर्ज़ा ग़ालिब
नज़्म
जाड़े की बहारें
जब ऐसी सर्दी हो ऐ दिल तब रोज़ मज़े की घातें हों
कुछ नर्म बिछौने मख़मल के कुछ ऐश की लम्बी रातें हों
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
ये ऐश-ओ-तरब के मतवाले बे-कार की बातें करते हैं
पायल के ग़मों का इल्म नहीं झंकार की बातें करते हैं
शकील बदायूनी
नज़्म
हुस्न और मौत
न क़हत-ए-ऐश-ओ-मसर्रत न, ग़म की अर्ज़ानी
कनार-ए-रहमत-ए-हक़ में उसे सुलाती है