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नज़्म
ख़ुदा का सवाल
ये अक़्ल-ओ-ज़हानत शुऊ'र-ओ-नज़र
ये बस्ती ये सहरा ये ख़ुश्की ये तर
अबरार अहमद काशिफ़
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नज़्म
मस्जिद-ए-क़ुर्तुबा
आनी-ओ-फ़ानी तमाम मोजज़ा-हा-ए-हुनर
कार-ए-जहाँ बे-सबात कार-ए-जहाँ बे-सबात
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
जश्न-ए-ग़ालिब
इक्कीस बरस गुज़रे आज़ादी-ए-कामिल को
तब जा के कहीं हम को 'ग़ालिब' का ख़याल आया
साहिर लुधियानवी
नज़्म
जुगनू
ये अक़्ल-ओ-फ़हम बड़ी चीज़ हैं मुझे तस्लीम
मगर लगा नहीं सकते हम इस का अंदाज़ा
फ़िराक़ गोरखपुरी
नज़्म
ख़दशा
ये तेरे लब ये दयार-ए-यमन के सुर्ख़ अक़ीक़
ये आईने सी जबीं सज्दा-गाह-ए-लैल-ओ-निहार
मोहसिन नक़वी
ग़ज़ल
होश-ओ-हवास-ओ-अक़ल-ओ-ख़िरद दे गए जवाब
यानी नहीं हूँ मैं किसी क़ाबिल तिरे बग़ैर