aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ابکائي"
हसन अब्बासी
born.1971
शायर
नुज़हत अब्बासी
मुज़फ़्फ़र अबदाली
बिस्मिल आग़ाई
born.1931
हिजाब अब्बासी
born.1957
शारिब रुदौलवी
1932 - 2023
कलाकार
ख़ालिद इबादी
शबनम अशाई
born.1962
इफ़्फ़त ज़ेबा काकोरवी
1924 - 2002
महमूद अहमद अब्बासी
1885 - 1974
लेखक
इरफ़ान अब्बासी
born.1929
नसीम अब्बासी
born.1952
आरिफ़ अब्बासी बलियावी
1912 - 1972
क़मर अली अब्बासी
जीम अब्बासी
सौगंधी साड़ी का एक किनारा अपनी उंगली पर लपेटती हुई आगे बढ़ी और मोटर के दरवाज़े के पास खड़ी हो गई। सेठ साहिब ने बैट्री उसके चेहरे के पास रौशन की। एक लम्हे के लिए उस रौशनी ने सौगंधी की ख़ुमार आलूद आँखों में चकाचौंद पैदा की। बटन दबाने की...
मदन ने हाथ पिंघोड़े की तरफ़ बढ़ाया और उसी दम खींच लिया। फिर कुछ हिम्मत से काम लेते हुए उसने बच्चे को यूँ उठाया जैसे वो कोई मरा हुआ चूहा है। आख़िर उसने बच्चे को इंदू की गोद में दे दिया। इंदू मदन की तरफ़ देखते हुए बोली, “तुम जाओ......
“तुम तो जिला-वतन ईरानी नहीं हो?” “नहीं। मेरा सियासत से कोई तअ’ल्लुक़ नहीं। तमारा ख़ानम मैं लड़के पढ़ाता हूँ।”...
आ’म ख़याल था कि आज़ादी की मंज़िल अब सिर्फ़ दो हाथ ही दूर है, लेकिन फ़िरंगी सियासतदानों ने इस तहरीक का दूध उबलने दिया और जब हिंदुस्तान के बड़े लीडरों के साथ कोई समझौता हुआ तो ये तहरीक ठंडी लस्सी में तबदील हो गई। आज़ादी के दीवाने जेलों से बाहर...
फिर उसने बच्चे के चिथड़े को ज़ख़्म में भर लिया और तेज़ी से नाले में बाएं तरफ़ घिसटने लगा। जब काफ़ी देर हो गई और हो तीन फ़र्लांग तय कर के मोड़ के क़रीब पहुंचा जहां नाले के ऊपर थोड़ी दूर तक पुल के लिए लंबे लोहे की शीट डाल...
दशहरे का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न है। इस त्योहार का जश्न चुनिंदा उर्दू शायरी के साथ मनाइए।
चाँद उर्दू शाएरी का एक लोकप्रिय विषय रहा हैI चाँद को उसकी सुंदरता, उसके उज्ज्वल नज़ारे से उसके प्रतिरूप के कारण कसरत से उपयोग में लाया गया हैI शाएर चाँद में अपने माशूक़ की शक्ल भी देखता हैI शाएरों ने बहुत दिलचस्प अंदाज़ में शेर भी लिखे हैं जिनमें चाँद और माहबूब के हुस्न के बीच प्रतिस्पर्धा का तत्व भी मौजूद है।
बीसवीं सदी का आरम्भिक दौर पूरे विश्व के लिए घटनाओं से परिपूर्ण समय था और विशेष तौर पर भारतीय उपमहाद्वीप के लिए यह एक बड़े बदलाव का युग था। नए युग की शुरुआत ने नई विचारधाराओं के लिए ज़मीन तैयार की और पश्चिम की विस्तारवादी आकांछाओं को गहरा आघात पहुँचाया। इन परिस्थितियों ने उर्दू शायरी की विषयवस्तु और मुहावरे भी पूरी तरह बदल दिए और इस बदलाव की अगुआई का श्रेय निस्संदेह अल्लामा इक़बाल को जाता है। उन्होंने पाठकों में अपने तेवर, प्रतीकों, बिम्बों, उपमाओं, पात्रों और इस्लामी इतिहास की विभूतियों के माध्यम से नए और प्रगतिशील विचारों की ऎसी ज्योति जगाई जिसने सब को आश्चर्यचकित कर दिया। उनकी शायरी की विश्व स्तर पर सराहना हुई साथ ही उन्हें विवादों में भी घसीटा गया। उन्हें पाठकों ने एक महान शायर के तौर पर पूरा - पूरा सम्मान दिया और उनकी शायरी पर भी बहुत कुछ लिखा गया है। उन्होंने बच्चों के लिए भी लिखा है और यहां भी उन्हें किसी से कमतर नहीं कहा जा सकता। 'सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा' और 'लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी' जैसी उनकी ग़ज़लों - नज़्मों की पंक्तियाँ आज भी अपनी चमक बरक़रार रखे हुए हैं। यहां हम इक़बाल के २० चुनिंदा अशआर आपके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं। अगर आप हमारे चयन को समृद्ध करने में हमारी मदद करना चाहें तो आपका रेख्ता पर स्वागत है।
Urdu Ka Ibtedai Zamana
शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी
आलोचना
Urdu Ki Ibtidai Nash-o-Numa Mein Sufiya-e-Karam Ka Kam
मौलवी अब्दुल हक़
भाषा
Usool-e-Tahqeeq
अब्दुल हमीद खान अब्बासी
अनुसंधान क्रियाविधि
Urdu ki Ibtidai Nash-o-Numa mein Sufiya-e-Kiram ka Kaam
शोध / समीक्षा
Tahqeeq-ul-Ansab (Tareekh-e-Amroha)
भारत का इतिहास
Khilafat-e-Muawiya-o-Yazid
सांस्कृतिक इतिहास
Muqabla Arayi
अब्दुल बारी एम के
बैत-बाज़ी
Bahadur Ali
उपन्यास
Ibtedai Computer Training Course
नईम अहसन
Ibtadai Kalam-e-Iqbal
अल्लामा इक़बाल
संकलन
Tahreek-e-Khilafat
क़ाज़ी मोहम्मद अदील अब्बासी
धार्मिक आंदोलन
Tareekh-e-Amroha
तज़्किरा-ए-मशाइख़-ऐ-बिहार
डॉ तय्यब अबदाली
तज़्किरा / संस्मरण / जीवनी
Urdu Novel Ka Tanqeedi Jaiza
यहया अब्दाली
नॉवेल / उपन्यास तन्क़ीद
इक़बाल की इब्तिदाई ज़िंदगी
सय्यद सुलतान महमूद हुसैन
इक़बालियात तन्क़ीद
تھوڑی دیر بعد مجھے اچانک احساس ہوا کہ میکلوڈ روڈ اب صبح کی طرح سنسان نہیں تھی اور یہ بھی کہ جب میں پیچھے کے گھر میں پناہ لینے کے لیے گھسا تھا تو اس وقت دھوپ نکلی ہوئی تھی، دن کے گیارہ کا عمل رہا ہوگا اور میں ہرگز...
डाक्टर साहब बड़बड़ाए, “अब्बासी, शाहिद को जाने दो। उसे देर हो रही है।” उसके बाद ख़ुदा जाने मियां-बीवी में क्या फ़ज़ीहता हुआ। अगले दिन डाक्टर साहब मेरे हाँ आए तो उनके बैग में विलायती बोतल मौजूद थी और वो हर आध घंटा बाद गिलास बनवाते और पीते रहे। उनकी शराब...
“आने दो भाई मैं अपना काम करता रहूँगा।” मैंने जल्दी जल्दी पेंसिल घसीटते हुए कहा। मैं अपना काम जारी न रख सका। क़त्ल और ख़ून की ख़बरें बनाना और बात है ख़ून बहते देखना और बात... अंदर आने वाले के माथे से बहता हुआ ख़ून उसके चेहरे को अ’जीब भयानक...
اس نے بیگ شانے سے لٹکایا اور بس اسٹاپ کی طرف چل دی۔ یقیناً ہمارے بادشاہ کی نیت میں فتور آ گیا یہ پوری زندگی پر محیط بدمزگی اور احساس اور جذبوں کی خشک سالی اور رابطوں کی ناتوانی وہ بھی اپنے نانا کی سچی سچی نواسی تھی۔ سر میں...
इस दार-ए-नापायदार के क़ानून के मवाफ़िक़ मुझ बदनसीब पर एक और मुसीबत आई। मेरी नाबीना बीवी को बुख़ार आने लगा मैंने डाक्टर, हकीम, मुल्ला, स्याने, दवा, ठंडाई, गंडा ग़रज़ कुछ न छोड़ा। मगर बुख़ार में कमी न होनी थी न हुई। मैंने बिल्कुल हर जगह का आना-जाना छोड़ दिया। वो...
“बहुत से अदीब ख़ुद इस तूफ़ान की ज़द में आ गए थे और कई एक ज़हनों को इस ट्रेजडी की हौलनाकी ने ऐसी कारी ज़र्ब लगाई थी कि वो कुछ लिखना चाहते थे, उनके पास मवाद भी था लेकिन सँभल कर लिख नहीं सकते थे। ये ट्रेजडी इतनी बड़ी ही...
“तुमने क़त्ल होते हुए देखा था।” शंभू ने अपने ख़ुश्क होते हलक़ में अजीब से ख़रख़राहट महसूस की। उसे उबकाई आरही थी। बाहर बारिश फिर शुरू हो गई थी। बादल शायद अपने खो जाने वालों के लिए रो रहे हैं। उसने माँ-बापू और फ़ादर को याद किया। ऐंठी हुई ज़बान...
“पता नहीं।” उसने हाँपते हुए कहा। तभी, उस की नज़र खुले दरवाज़े की तरफ़ उठ गई। वहां एक बदहैत शख़्स खड़ा था। उसकी आँखें अंगारों की तरह दहक रही थीं। और उसके हाथ में चमचम करती लंबी सी, छुरी थी।...
"कछुए" और "वापस" दोनों की बुनियाद बोध जातकों पर है। उनमें ज़बान भी प्राकृतों का उंसुर लिए हुए क़िदामत-आमेज़ है जिससे क़दीम अहद की फ़िज़ा-साज़ी में मदद मिली है। "वापस" में तथागत भिक्शुओं को बनारस के सुंदर नगर की जातक सुनाते हैं और बताते हैं कि एक ज़माना था जब...
"आहिस्ता बोलो! अम्मां उठ जाएँगी। सक्क़ों में शादी करने के तुम भी ख़िलाफ़ हो। होना?" "हाय अल्लाह अब क्या होगा? मुझे तो अभी से उबकाईयां आने लगी हैं। न जाने कब भांडा फूट जाये।"...
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