aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "بہرے"
ख़ुमार बाराबंकवी
1919 - 1999
शायर
सुरूर बाराबंकवी
1919 - 1980
अंजुम बाराबंकवी
born.1964
अहमर नदीम
born.1998
असलम बाराबंकवी
लेखक
ज़की तारिक़ बाराबंकवी
born.1972
बारी अलीग
1906 - 1949
आज़र बाराबंकवी
मोहम्मद जकी
शादाँ बराबंकवी
बारी
मुंशी अब्दुर रशीद सफ़वी बाराबंकवी
अनवर बारी
born.1951
साग़र बाराबंकवी
born.1931
अशान्त बाराबंकवी
born.1959
बारे दुनिया में रहो ग़म-ज़दा या शाद रहोऐसा कुछ कर के चलो याँ कि बहुत याद रहो
है तो बारे ये आलम-ए-असबाबबे-सबब चीख़ने लगा कीजे
इस जज़्बा-ए-दिल के बारे में इक मशवरा तुम से लेता हूँउस वक़्त मुझे क्या लाज़िम है जब तुझ पे मिरा दिल आ जाए
मिरे बारे में कोई राय तो होगी उस कीउस ने मुझ को भी कभी तोड़ के देखा होगा
चाहे कुछ भी हो सवालात न करना उन सेमेरे बारे में कोई बात न करना उन से
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"उर्दू किताबों में सिनेमा की दुनिया" रेख़्ता ई-बुक्स की तरफ़ से पेश किया गया एक अनोखा संग्रह है जिसमें ऐसी उर्दू किताबें शामिल हैं जो सिनेमा की दुनिया के विभिन्न पहलुओं पर रोशनी डालती हैं। यह किताबें फिल्मों के इतिहास, कहानियाँ, कला, निर्माण और अभिनेताओं के बारे में जानकारी प्रदान करती हैं।
शायरी, या ये कहा जाए कि अच्छा तख़्लीक़ी अदब हम को हमारे आम तजर्बात और तसव्वुरात से अलग एक नई दुनिया में ले जाता है वह हमें रोज़ मर्रा की ज़िंदगी से अलग होते हैं। क्या आप दोस्त और दोस्ती के बारे में उन बातों से वाक़िफ़ है जिन को ये शायरी मौज़ू बनाती है? दोस्त, उस की फ़ित्रत उस के जज़्बात और इरादों का ये शेरी बयानिया आप के लिए हैरानी का बाइस होगा। इसे पढ़िए और अपने आस पास फैले हुए दोस्तों को नए सिरे से देखना शुरू कीजिए।
बहरेبہرے
deaf
Arooz
सय्यद कलीमुल्लाह हुसैनी
छंदशास्र
Urdu Mein Adabi Tahqeeq Ke Bare Mein
क़ाज़ी अब्दुल वदूद
अनुसंधान क्रियाविधि
Islam Ke Baare Mein 100 Sawaal
इमाम मोहम्मद ग़ज़ाली
Lal Qila Ki Ek Jhalak
नासिर नज़ीर फ़िराक़ देहलवी
शिक्षाप्रद
कुछ अबुल कलाम आज़ाद के बारे में
मालिक राम
मज़ामीन / लेख
Kuchh Hindumat Ke Bare Mein
ख़ुदा बख़्श लाइब्रेरी, पटना
Deewan-e-Uzlat
वली उज़लत
दीवान
Gulha-e-Dagh
आफ़ताब अहमद सिद्दीक़ी रुदाैलवी
संकलन
Company Ki Hukoomat
भारत का इतिहास
Pahli Barish
नासिर काज़मी
ग़ज़ल
Communist Taleem Ke Bare Mein
एम. इ. कालीनन
राजनीतिक
Ghalib Ki Baz Tasanif Ke Bare Mein
कालीदास गुप्ता रज़ा
शायरी तन्क़ीद
Bikat Kahani
मोहम्मद अफ़ज़ल अफ़ज़ल
नज़्म
आतिश-ए-तर
मैं सोचता हूँ बहुत ज़िंदगी के बारे मेंये ज़िंदगी भी मुझे सोच कर न रह जाए
अब तो उस के बारे में तुम जो चाहो वो कह डालोवो अंगड़ाई मेरे कमरे तक तो बड़ी रूहानी थी
मैं जिन दिनों तिरे बारे में सोचता हूँ बहुतउन्हीं दिनों तो ये दुनिया समझ में आती है
रुस्वा-ए-दहर गो हुए आवारगी से तुमबारे तबीअतों के तो चालाक हो गए
जिस से पूछें तिरे बारे में यही कहता हैख़ूबसूरत है वफ़ादार नहीं हो सकता
'फ़ैसल' वो सारे लोग थे बहरे इसी लिएख़ामोश रह के शोर मचाना पड़ा मुझे
क़त्ल का मेरे किया है अहद तो बारेवाए अगर अहद उस्तुवार नहीं है
उड़ती फिरे है ख़ाक मिरी कू-ए-यार मेंबारे अब ऐ हवा हवस-ए-बाल-ओ-पर गई
दे वो जिस क़दर ज़िल्लत हम हँसी में टालेंगेबारे आश्ना निकला उन का पासबाँ अपना
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