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कहानी
“उसी शर्त पर जो पहले बता चुका हूँ।” सुल्ताना उठ खड़ी हुई, “तो जाओ रस्ता पकड़ो।”...
सआदत हसन मंटो
ग़ज़ल
क्या हुई तक़्सीर हम से तू बता दे ऐ 'नज़ीर'
ताकि शादी-मर्ग समझें ऐसे मर जाने को हम
नज़ीर अकबराबादी
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