Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Khalid Nadeem Shaani's Photo'

ख़ालिद नदीम शानी

पंजाब, पाकिस्तान

मक़बूल-ए-आम उर्दू शायरों में शुमार

मक़बूल-ए-आम उर्दू शायरों में शुमार

ख़ालिद नदीम शानी

ग़ज़ल 12

अशआर 8

हमी वो इल्म के रौशन चराग़ हैं जिन को

हवा बुझाती नहीं है सलाम करती है

कहाँ से आई थी आख़िर तिरी तलब मुझ में

ख़ुदा ने मुझ को बनाया तो मैं अकेला था

मैं अगर ख़ुद को मार डालूँ तो

क्या बचेगा तिरी कहानी में

जिस तरह आप ने बीमार से रुख़्सत ली है

साफ़ लगता है जनाज़े में नहीं आएँगे

तुम इन लकीरों में इक ख़ुशी भी तलाश कर लो तो मो'जिज़ा है

कि मैं तो बचपन से जानता हूँ मिरी हथेली का नाम दुख है

"पंजाब" के और शायर

Recitation

Jashn-e-Rekhta 10th Edition | 5-6-7 December Get Tickets Here

बोलिए