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शेर
पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है
जाने न जाने गुल ही न जाने बाग़ तो सारा जाने है
मीर तक़ी मीर
नज़्म
जवाब-ए-शिकवा
दिल से जो बात निकलती है असर रखती है
पर नहीं ताक़त-ए-परवाज़ मगर रखती है
अल्लामा इक़बाल
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ग़ज़ल
ख़िज़्र-सुल्ताँ को रखे ख़ालिक़-ए-अकबर सरसब्ज़
शाह के बाग़ में ये ताज़ा निहाल अच्छा है