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नज़्म
मेरे गीत तुम्हारे हैं
मेरा फ़न मेरी उमीदें आज से तुम को अर्पन हैं
आज से मेरे गीत तुम्हारे दुख और सुख का दर्पन हैं
साहिर लुधियानवी
ग़ज़ल
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले
मिर्ज़ा ग़ालिब
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ग़ज़ल
जनम जनम से मधुर मिलन की आई है यही रीत
जान करे जो हँस कर अर्पण दर्शन भी वही पाए
तुफ़ैल होशियारपुरी
ग़ज़ल
तू ने साँसों की सूली पर लम्बी रात गुज़ारी है
काश तिरे अर्पण कर सकता मैं अपने हिस्से का दिन
इंद्र मोहन मेहता कैफ़
शेर
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले
मिर्ज़ा ग़ालिब
नज़्म
जवाब-ए-शिकवा
तू न मिट जाएगा ईरान के मिट जाने से
नश्शा-ए-मय को तअल्लुक़ नहीं पैमाने से
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
अब न अगले वलवले हैं और न वो अरमाँ की भीड़
सिर्फ़ मिट जाने की इक हसरत दिल-ए-'बिस्मिल' में है