aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "daal"
मीराजी
1912 - 1949
शायर
मियाँ दाद ख़ां सय्याह
1829/30 - 1907
दिल शाहजहाँपुरी
1875 - 1959
दिल अय्यूबी
born.1929
भगवान दास एजाज़
1932 - 2020
शम्स तबरेज़ी
1185 - 1248
लेखक
रतन नाथ सरशार
1846 - 1903
साहिर सियालकोटी
1906 - 1984
द्वारका दास शोला
1910 - 1983
ज़ाहिद डार
1936 - 2021
अब्दुर्रज़्ज़ाक़ दिल
born.1943
शबाब ललित
born.1933
दिल सिकन्दरपुरी
born.1993
अजीत कुमार दिल
उमर आलम
born.2001
पूछा जो उन से चाँद निकलता है किस तरहज़ुल्फ़ों को रुख़ पे डाल के झटका दिया कि यूँ
सुना है आइना तिमसाल है जबीं उस कीजो सादा दिल हैं उसे बन-सँवर के देखते हैं
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आआ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
बन के सीमाब हर इक ज़र्फ़ में ढल जाती हैज़ीस्त के आहनी साँचे में भी ढलना है तुझे
उम्र गुज़रेगी इम्तिहान में क्यादाग़ ही देंगे मुझ को दान में क्या
बच्चों की भावनाओं को दर्शाती हुई शायरी
रूमान और इश्क़ के बग़ैर ज़िंदगी कितनी ख़ाली ख़ाली सी होती है इस का अंदाज़ा तो आप सबको होगा ही। इश्क़चाहे काइनात के हरे-भरे ख़ूबसूरत मनाज़िर का हो या इन्सानों के दर्मियान नाज़ुक ओ पेचीदा रिश्तों का इसी से ज़िंदगी की रौनक़ मरबूत है। हम सब ज़िंदगी की सफ़्फ़ाक सूरतों से बच निकलने के लिए मोहब्बत भरे लम्हों की तलाश में रहते हैं। तो आइए हमारा ये शेरी इन्तिख़ाब एक ऐसा निगार-ख़ाना है जहाँ हर तरफ़ मोहब्बत , लव, इश्क़ , बिखरा पड़ा है।
गणतंत्र दिवस पर 5 बेहतरीन नज़्में
दालدال
Lentils
राह दिखानेवाला, पथ- प्रदर्शक ।
दालد
daal alphabet, D
डालڈ
Daal alphabet, D
डालڈال
put in
Surkh-o-Siyah
सतां दाल
नॉवेल / उपन्यास
Masala-e-Wahdat-ul-Wajood Aur Iqbal
डॉ. अलिफ़ दाल नसीम
Angare
सज्जाद ज़हीर
प्रतिबंधित पुस्तकें
Sab Ras
मुल्ला वजही
फ़िक्शन
Pareshaan Hona Chhodiye Jeena Shuru Kijiye
डेल कार्नेगी
मनोविज्ञान
Dil Dariya Samandar
वासिफ़ अली वासिफ़
लेख
Bhag Nagar Ki Tawaifen
मीम नून दाल वामिक
जीवनी
Guftagu Aur Taqreer Ka Fan
दर्शन / फ़िलॉसफ़ी
Meethe Bol Mein Jadu Hai
अनुवाद
Punjabi Shairaan Da Tazkira
मियां मौला बख्श कुश्ता
सूफ़ीवाद / रहस्यवाद
कर्बल कथा
फ़ज़्ल अली फ़ज़्ली
शिक्षाप्रद
Dar-ut-Tarjuma Usmania Ki Ilmi Aur Adabi Khidmaat
मुजीबुल इसलाम
साहित्यिक आंदोलन
दास्तान
अरबी ज़बान के दस सबक़
अब्दुस्सलाम किदवई नदवी
भाषा
Daas Capital
कार्ल मार्क्स
शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा हैजिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है
अपने दिल को भी बताऊँ न ठिकाना तेरासब ने जाना जो पता एक ने जाना तेरा
निकाल लाया हूँ एक पिंजरे से इक परिंदाअब इस परिंदे के दिल से पिंजरा निकालना है
मेरी अक़्ल-ओ-होश की सब हालतेंतुम ने साँचे में जुनूँ के ढाल दीं
आज हम दार पे खींचे गए जिन बातों परक्या अजब कल वो ज़माने को निसाबों में मिलें
अगरचे ज़ोर हवाओं ने डाल रक्खा हैमगर चराग़ ने लौ को सँभाल रक्खा है
टूटी है मेरी नींद मगर तुम को इस से क्याबजते रहें हवाओं से दर तुम को इस से क्या
दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो हैलम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है
आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखाकश्ती के मुसाफ़िर ने समुंदर नहीं देखा
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books