aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "maat"
मह लक़ा चंदा
1768 - 1824
शायर
अमित शर्मा मीत
born.1989
सय्यद ग़ुलाम मोहम्मद मस्त कलकत्तवी
1896 - 1941
माह तलअत ज़ाहिदी
1953 - 2020
मोहम्मद इक़बाल मट
लेखक
माह लखनवी
लाल कांजी मल सबा
born.1792
कँवल एम ए
born.1921
अली मान अज़फ़र
born.1996
अल्लामा पॉकेट मार
रूपम कुमार मीत
born.2000
माहरुख़ अली माही
born.1998
महजबीं नज्म
ज़ेब बरैलवी
ख़ुशतर ग्रामी
1902 - 1988
वीराँ है मय-कदा ख़ुम-ओ-साग़र उदास हैंतुम क्या गए कि रूठ गए दिन बहार के
इतना मीठा था वो ग़ुस्से भरा लहजा मत पूछउस ने जिस जिस को भी जाने का कहा बैठ गया
रेखाओं का खेल है मुक़द्दररेखाओं से मात खा रहे हो
तू सामने है तो फिर क्यूँ यक़ीं नहीं आताये बार बार जो आँखों को मल के देखते हैं
मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तिरे पीछेतू देख कि क्या रंग है तेरा मिरे आगे
रचनाकार की भावुकता एवं संवेदनशीलता या यूँ कह लीजिए कि उसकी चेतना और अपने आस-पास की दुनिया को देखने एवं एहसास करने की कल्पना-शक्ति से ही साहित्य में हँसी-ख़ुशी जैसे भावों की तरह उदासी का भी चित्रण संभव होता है । उर्दू क्लासिकी शायरी में ये उदासी परंपरागत एवं असफल प्रेम के कारण नज़र आती है । अस्ल में रचनाकार अपनी रचना में दुनिया की बे-ढंगी सूरतों को व्यवस्थित करना चाहता है,लेकिन उसको सफलता नहीं मिलती । असफलता का यही एहसास साहित्य और शायरी में उदासी को जन्म देता है । यहाँ उदासी के अलग-अलग भाव को शायरी के माध्यम से आपके समक्ष पेश किया जा रहा है ।
ये 10 ग़ज़लों का ऐसा संग्रह है जिन्हें प्रसिद्ध गायकों ने अपनी आवाज़ दी है। ये ग़ज़लें मोहब्बत और इश्क़ के शादीद जज़्बे से भारी हुई हैं। हमारी ये पेशकश आप के लिए ख़ास है। आप यहाँ इन ग़ज़लों को पढ़ भी सकते हैं जिन्हें सिर्फ़ सुनते रहे हैं।
शायरी में महबूब माँ भी है। माँ से मोहब्बत का ये पाक जज़्बा जितने पुर-असर तरीक़े से ग़ज़लों में बरता गया इतना किसी और सिन्फ़ में नहीं। हम ऐसे कुछ मुंतख़ब अशआर आप तक पहुँचा रहे हैं जो माँ को मौज़ू बनाते हैं। माँ के प्यार, उस की मोहब्बत और शफ़क़त को और अपने बच्चों के लिए उस प्यार को वाज़ेह करते हैं। ये अशआर जज़्बे की जिस शिद्दत और एहसास की जिस गहराई से कहे गए हैं इस से मुतअस्सिर हुए बग़ैर आप नहीं रह सकते। इन अशआर को पढ़िए और माँ से मोहब्बत करने वालों के दर्मियान शेयर कीजिए।
मटمَٹ
(مجازاً) مکان ۔
matmat
बोरिया
मत'مَتْع
بڑھا ہوا، طویل، لمبا
मातمات
क्षुब्ध किया हुआ।
Hindu Mazhab Kya Hai?
महात्मा गाँधी
हिन्दू-मत
Mat Socha Kar
फ़रहत शहज़ाद
Bolo Mat Chup Raho
हुसैनुल हक़
नॉवेल / उपन्यास
Yajurved Ka Urdu Tarjuma
Heer Waris Shah
सय्यद वारिस शाह
शायरी
Bang-e-Dara
यूसुफ़ सलीम चिश्ती
व्याख्या
Qadeem Hindustan Ki Tahzeeb
Sant Mat Parkash
बाबा सावन सिंह जी
सूफ़ीवाद / रहस्यवाद
Mat Sahl Hamen Jano
अनवर ज़हीर ख़ाँ
स्केच / ख़ाका
क़दीम हिन्दी फ़लसफ़ा
रॉय शिव मोहन लाल माथुर
Tum Udas Mat Hona
नज़ीर तबस्सुम
काव्य संग्रह
हिन्दू तेवहारों की दिल्चसप असलियत
मुंशी राम प्रशाद माथुर
Musaddas-e-Haali
अल्ताफ़ हुसैन हाली
मुसद्दस
Bal-e-Jibreel
Jatak
इसरी अरशद
अनुवाद
सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगाइतना मत चाहो उसे वो बेवफ़ा हो जाएगा
काँटों को मत निकाल चमन से ओ बाग़बाँये भी गुलों के साथ पले हैं बहार में
ये मत भूलो कि ये लम्हात हम कोबिछड़ने के लिए मिलवा रहे हैं
आशिक़ी में 'मीर' जैसे ख़्वाब मत देखा करोबावले हो जाओगे महताब मत देखा करो
परखना मत परखने में कोई अपना नहीं रहताकिसी भी आइने में देर तक चेहरा नहीं रहता
इशरत-ए-क़त्ल-गह-ए-अहल-ए-तमन्ना मत पूछईद-ए-नज़्ज़ारा है शमशीर का उर्यां होना
'कैफ़' परदेस में मत याद करो अपना मकाँअब के बारिश ने उसे तोड़ गिराया होगा
झुक कर सलाम करने में क्या हर्ज है मगरसर इतना मत झुकाओ कि दस्तार गिर पड़े
अहद निभाने की ख़ातिर मत आनाअहद निभाने वाले अक्सर
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