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हास्य
सदमा पहुँचा जिस से तिल्ली को बहुत मिस्कीन की
आ के घोड़े से लिया साईस ने उस को उतार
अल्ताफ़ हुसैन हाली
हास्य
'इश्क़ के मैदाँ में याँ घोड़े भी हैं साईस भी
'अक़्ल की महफ़िल में याँ जिब्रील भी इबलीस भी
दिलावर फ़िगार
ग़ज़ल
यूँ तो हाजी भी था मुल्ला भी था वो पीर भी था
मिसल-ए-साईस मगर तेरा इनाँ-गीर भी था
हाशिम अज़ीमाबादी
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नज़्म
जवाब-ए-शिकवा
हम तो माइल-ब-करम हैं कोई साइल ही नहीं
राह दिखलाएँ किसे रह-रव-ए-मंज़िल ही नहीं
अल्लामा इक़बाल
शेर
सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ
ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ