सलमान सईद
ग़ज़ल 19
नज़्म 2
अशआर 15
आप के हाथ में है मुझ से त'अल्लुक़ का रेमोट
आप चाहें तो ये चैनल भी बदल सकते हैं
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ख़ून से मज़लूम के हो तो गए रौशन चराग़
रौशनी ऐसी हुई फिर शहर अंधा हो गया
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वो हिज्र-ज़ादे शब-ए-वस्ल ये भी भूल गए
चराग़ उन को जलाने नहीं बुझाने थे
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हमारे खेल की गुड़िया तुम्ही हो
तुम्हारे खेल का गुड्डा नया है
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