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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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सलमान सईद

1991 | दिल्ली, भारत

नई नस्ल के मशहूर शाइरों में शामिल

नई नस्ल के मशहूर शाइरों में शामिल

सलमान सईद

ग़ज़ल 19

नज़्म 2

 

अशआर 15

'अजीब ढंग से मुझ को मिली है आज़ादी

परिंदा पिंजरे में पिंजरा हवा में रक्खा गया

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आप के हाथ में है मुझ से त'अल्लुक़ का रेमोट

आप चाहें तो ये चैनल भी बदल सकते हैं

ख़ून से मज़लूम के हो तो गए रौशन चराग़

रौशनी ऐसी हुई फिर शहर अंधा हो गया

वो हिज्र-ज़ादे शब-ए-वस्ल ये भी भूल गए

चराग़ उन को जलाने नहीं बुझाने थे

हमारे खेल की गुड़िया तुम्ही हो

तुम्हारे खेल का गुड्डा नया है

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