aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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सैफ़ ज़ुल्फ़ी

1934 - 1991 | लाहौर, पाकिस्तान

सैफ़ ज़ुल्फ़ी

ग़ज़ल 14

अशआर 3

चिंगारियाँ डाल मिरे दिल के घाव में

मैं ख़ुद ही जल रहा हूँ ग़मों के अलाव में

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काग़ज़ पे उगल रहा है नफ़रत

कम-ज़र्फ़ अदीब हो गया है

एहसास में शदीद तलातुम के बावजूद

चुप हूँ मुझे सुकून मयस्सर हो जिस तरह

 

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