aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "yaasmii.n"
यासमीन हमीद
born.1951
शायर
यासमीन हबीब
यासिर ख़ान इनाम
born.1986
ग़ज़ल जाफ़री
born.1960
लेखक
फ़ीरोज़ा यासमीन
यासमीन सहर
born.1968
यासमीन हुसैनी ज़ैदी निकहत
इनामुल्लाह ख़ाँ यक़ीन
1727 - 1755
यासीनआतिर
born.1955
निकहत यासमीन गुल
शगुफ़्ता यासमीन
कलाकार
यासमीन मूमल
born.1985
ख़ालिद इक़बाल यासिर
born.1952
आतिफ़ वहीद यासिर
अम्मार यासिर मिगसी
born.1979
यारों की मोहब्बत का यक़ीं कर लिया मैं नेफूलों में छुपाया हुआ ख़ंजर नहीं देखा
यासमीं उस की ख़ास महरम-ए-राज़याद आया करेगी अब तू भी
इक शाख़-ए-यासमीन थी कल तक ख़िज़ाँ-असरऔर आज सारा बाग़ उसी की अमाँ में है
एक दीवार उठाई थी बड़ी उजलत मेंवही दीवार गिराने में बहुत देर लगी
किसी का भीगा बदन गुल खिलाता है अक्सरगुलाब रानी कँवल यासमीन चम्पा-कली
यासमींیاسمیں
jasmine
चमेली का फूल
‘यासमीन' का लघु., दे. ‘यासमीन' ।।
यासमीनیاسمین
चमेली का फूल, नव- मल्लिका ।।
यासमनیاسمن
Angrezi Adab Ki Mukhtasar Tareekh
मोहम्मद यासीन
समीक्षा / शोध
Naqd-e-Meer Aur Sher-e-Shor Angez
डॉ. यास्मीन
आलोचना
उर्दू नज़्मों में सियासी रुजहनात की झलक
फ़ौज़िया यास्मीन
Dusri Zindagi
काव्य संग्रह
Hisar Be Dar-o-Deewar
Urdu Tahreer, Talaffuz Aur Qwaid
मोहम्मद यामीन सम्भली
अख़्तर सईद ख़ाँ
शोध
Aap To Aise Na The
डॉ. यास्मीन अख़तर
नॉवेल / उपन्यास
Parveen Shakir
फ़रहत यासमीन
Zindagi Ki Yadein
जहाँ आरा हबीबुल्लाह
कहानियाँ
Classiki Maghribi Tanqeed
Pas-e-Aaina
कविता
Jagannath Azad Bataur Iqbal Shanas
यासमीन कौसर
महिलाओं की रचनाएँ
Yaqeen Ke Aage Guman Ke Pichhe
जिलानी बानो
प्रतीकात्मक / कलात्मक कहानियाँ
Encyclopedia of Islam
मोहम्मद यामीन क़ुरैशी
इस्लामियात
जिस सम्त की हवा है उसी सम्त चल पड़ेंजब कुछ न हो सका तो यही फ़ैसला किया
मुसलसल एक ही तस्वीर चश्म-ए-तर में रहीचराग़ बुझ भी गया रौशनी सफ़र में रही
पर्दा आँखों से हटाने में बहुत देर लगीहमें दुनिया नज़र आने में बहुत देर लगी
अब जो बदला है तो अपनी रूह तक हैरान हूँतेरी जानिब से मैं शायद बे-यक़ीं ऐसी न थी
हमें भी तजरबा है बे-घरी का छत न होने कादरिंदे, बिजलियाँ, काली घटाएँ शोर करती हैं
ये क्या तिलिस्म है ये किस की यासमीं बाँहेंछिड़क गई हैं जहाँ-दर-जहाँ गुलाब के फूल
यासमीन ओ नस्तरन मेरा पताख़ुशबुओं के जिस्म पर लिक्खा हूँ मैं
इतने आसूदा किनारे नहीं अच्छे लगतेएक ही जैसे नज़ारे नहीं अच्छे लगते
अपनी निगाह पर भी करूँ ए'तिबार क्याकिस मान पर कहूँ वो मिरा इंतिख़ाब था
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