नए साल पर शायरी
यूँ तो हर दिन हमारे लिए अहम होता है,लेकिन जैसे ही साल ख़त्म होने वाला हो और नया साल आने वाला हो हम उसके स्वागत में जुट जाते हैं। इसलिए की हम आने वाले साल को गुज़रे हुए साल से ज़ियादा ख़ूबसूरत बनाने की आशा रखते हैं । तो दोस्तो! आईए इस शेर कलेक्शन को पढ़ कर मुहब्बत और भाई चारे के साथ आने वाले साल का इस्तिक़बाल करते हैं।
आज इक और बरस बीत गया उस के बग़ैर
जिस के होते हुए होते थे ज़माने मेरे
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इक साल गया इक साल नया है आने को
पर वक़्त का अब भी होश नहीं दीवाने को
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देखिए पाते हैं उश्शाक़ बुतों से क्या फ़ैज़
इक बरहमन ने कहा है कि ये साल अच्छा है
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पुराने साल की ठिठुरी हुई परछाइयाँ सिमटीं
नए दिन का नया सूरज उफ़ुक़ पर उठता आता है
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ये किस ने फ़ोन पे दी साल-ए-नौ की तहनियत मुझ को
तमन्ना रक़्स करती है तख़य्युल गुनगुनाता है
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गुज़िश्ता साल कोई मस्लहत रही होगी
गुज़िश्ता साल के सुख अब के साल दे मौला
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ये इंतिज़ार की घड़ियाँ ये शब का सन्नाटा
इस एक शब में भरे हैं हज़ार साल के दिन
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इक पल का क़ुर्ब एक बरस का फिर इंतिज़ार
आई है जनवरी तो दिसम्बर चला गया
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मिरा हाथ देख बरहमना मिरा यार मुझ को मिलेगा कब
तिरे मुँह से निकले ख़ुदा करे इस साल में इसी माह में