- पुस्तक सूची 186617
-
-
पुस्तकें विषयानुसार
-
बाल-साहित्य1926
औषधि893 आंदोलन293 नॉवेल / उपन्यास4487 -
पुस्तकें विषयानुसार
- बैत-बाज़ी11
- अनुक्रमणिका / सूची5
- अशआर64
- दीवान1442
- दोहा64
- महा-काव्य105
- व्याख्या185
- गीत83
- ग़ज़ल1133
- हाइकु12
- हम्द44
- हास्य-व्यंग36
- संकलन1554
- कह-मुकरनी6
- कुल्लियात679
- माहिया19
- काव्य संग्रह4930
- मर्सिया377
- मसनवी823
- मुसद्दस58
- नात542
- नज़्म1212
- अन्य68
- पहेली16
- क़सीदा186
- क़व्वाली19
- क़ित'अ61
- रुबाई294
- मुख़म्मस17
- रेख़्ती13
- शेष-रचनाएं27
- सलाम33
- सेहरा9
- शहर आशोब, हज्व, ज़टल नामा13
- तारीख-गोई28
- अनुवाद73
- वासोख़्त26
मुश्ताक़ अहमद यूसुफ़ी के उद्धरण
लाहौर की बाअ्ज़ गलियाँ इतनी तंग हैं कि अगर एक तरफ़ से औरत आ रही हो और दूसरी तरफ़ से मर्द तो दरमियान में सिर्फ़ निकाह की गुंजाइश बचती है।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
मूंगफली और आवारगी में ख़राबी यह है कि आदमी एक दफ़ा शुरू कर दे तो समझ में नहीं आता, ख़त्म कैसे करे।
-
टैग : हास्य
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
औरतें पैदाइशी मेहनती होती हैं। इसका अंदाज़ा इससे लगा लें कि सिर्फ़ 12 फ़ीसद ख़्वातीन ख़ूबसूरत पैदा होती हैं, बाक़ी अपनी मेहनत से यह मुक़ाम हासिल करती हैं।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
जिस दिन बच्चे की जेब से फ़ुज़ूल चीज़ों के बजाये पैसे बरामद हों तो समझ लेना चाहिए कि उसे बेफ़िक्री की नींद कभी नसीब नहीं होगी।
मुसलमान हमेशा एक अमली क़ौम रहे हैं। वो किसी ऐसे जानवर को मुहब्बत से नहीं पालते जिसे ज़िब्ह कर के खा ना सकें।
जो मुल़्क जितना ग़ुर्बत-ज़दा होगा उतना ही आलू और मज़हब का चलन ज़्यादा होगा।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
जवान लड़की की एड़ी में भी आँखें होती हैं। वह चलती है तो उसे पता होता है कि पीछे कौन, कैसी नज़रों से देख रहा है।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
मर्द इश्क़-ओ-आशिक़ी सिर्फ़ एक मर्तबा करता है, दूसरी मर्तबा अय्याशी और उसके बाद निरी अय्याशी।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
गाली, गिन्ती, सरगोशी और गंदा लतीफ़ा तो सिर्फ़ अपनी मादरी ज़बान में ही मज़ा देता है।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
आसमान की चील, चौखट की कील और कोर्ट के वकील से ख़ुदा बचाए, नंगा करके छोड़ते हैं।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
प्राइवेट अस्पताल और क्लीनिक में मरने का सबसे बड़ा फ़ायदा यह है कि मरहूम की जायदाद, जमा-जत्था और बैंक बैलेंस के बंटवारे पर पसमानदगान में ख़ून-ख़राबा नहीं होता, क्योंकि सब डॉक्टरों के हिस्से में आ जाता हैं।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
जब शेर और बकरी एक ही घाट पर पानी पीने लगें तो समझ लो कि शेर की नीयत और बकरी की अक़्ल में फ़ितूर है।
-
टैग : हास्य
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
दुश्मनों के हस्ब-ए-अदावत तीन दर्जे हैं, दुश्मन दुश्मन-ए-जानी, और रिश्तेदार।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
बुढ़ापे की शादी और बैंक की चौकीदारी में ज़रा फ़र्क़ नहीं। सोते में भी आँख खुली रखनी पड़ती है।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
अच्छे उस्ताद के अंदर एक बच्चा बैठा होता है जो हाथ उठा-उठा कर और सर हिला-हिला कर बताता जाता कि बात समझ में आई कि नहीं।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
सच्च बोल कर ज़लील-ओ-ख़्वार होने की जगह झूठ बोल कर ज़लील-ओ-ख़्वार होना बेहतर है। आदमी को कम-अज़-कम सब्र तो आ जाता है कि किस बात की सज़ा मिली है।
हमारी गायकी की बुनियाद तब्ले पर है, गुफ़्तगू की बुनियाद गाली पर।
मेरा अक़ीदा है कि जो क़ौम अपने आप पर जी खोल कर हँस सकती है वो कभी ग़ुलाम नहीं हो सकती।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
इन्सान का कोई काम बिगड़ जाए तो नाकामी से इतनी कोफ़्त नहीं होती जितनी उन बिन मांगे मश्वरों और नसीहतों से होती है जिनसे हर वो शख़्स नवाज़ता है जिसने कभी उस काम को हाथ तक नहीं लगाया।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
इस ज़माने में सौ फ़ी सद सच्च बोल कर ज़िंदगी करना ऐसा ही है जैसे बज्री मिलाए बग़ैर सिर्फ सिमेंट से मकान बनाना।
मिडिल क्लास ग़रीबी की सबसे क़ाबिल-ए-रहम और ला-इलाज क़िस्म वो है जिसमें आदमी के पास कुछ न हो लेकिन उसे किसी चीज़ की कमी महसूस न हो।
सुबह उस वक़्त नहीं होती जब सूरज निकलता है। सुबह उस वक़्त होती है जब आदमी जाग उठे।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
मुसलमान लड़के हिसाब में फ़ेल होने को अपने मुसलमान होने की आसमानी दलील समझते हैं।
जितना वक़्त और रुपया बच्चों को “मुस्लमानों के साईंस पर एहसानात” रटाने में सर्फ़ किया जाता है, दसवाँ हिस्सा भी बच्चों को साईंस पढ़ाने में सर्फ़ किया जाए तो मुसलमानों पर बड़ा एहसान होगा।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
अंग्रेज़ी फिल्मों में लोग यूँ प्यार करते हैं जैसे तुख़्मी आम चूस रहे हैं।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
हमारा अक़ीदा है कि जिसे माज़ी याद नहीं रहता उसकी ज़िंदगी में शायद कभी कुछ हुआ ही नहीं, लेकिन जो अपने माज़ी को याद ही नहीं करना चाहता वो यक़ीनन लोफ़र रहा होगा।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
बे-सबब दुश्मनी और बदसूरत औरत से इश्क़ हक़ीक़त में दुश्मनी और इश्क़ की सबसे न-खालिस क़िस्म है। यह शुरू ही वहां से हुई हैं जहाँ अक़्ल ख़त्म हो जावे है।
आदमी एक-बार प्रोफ़ेसर हो जाए तो उम्र-भर प्रोफ़ेसर ही रहता है, ख़ाह बाद में समझदारी की बातें ही क्यों न करने लगे।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
जिस आसमान पर कबूतर, शफ़क़, पतंग और सितारे न हों ऐसे आसमान की तरफ़ नज़र उठा कर देखने को जी नहीं चाहता।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
बढ़िया सिगरेट पीते ही हर शख़्स को मुआ'फ़ कर देने को जी चाहता है... ख़्वाह वो रिश्तेदार ही क्यों न हो।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
join rekhta family!
-
बाल-साहित्य1926
-