- पुस्तक सूची 181674
-
-
पुस्तकें विषयानुसार
-
बाल-साहित्य1651
औषधि563 आंदोलन257 नॉवेल / उपन्यास3431 -
पुस्तकें विषयानुसार
- बैत-बाज़ी9
- अनुक्रमणिका / सूची5
- अशआर62
- दीवान1331
- दोहा61
- महा-काव्य92
- व्याख्या149
- गीत85
- ग़ज़ल750
- हाइकु11
- हम्द31
- हास्य-व्यंग38
- संकलन1385
- कह-मुकरनी7
- कुल्लियात634
- माहिया16
- काव्य संग्रह3999
- मर्सिया330
- मसनवी679
- मुसद्दस44
- नात424
- नज़्म1007
- अन्य45
- पहेली14
- क़सीदा143
- क़व्वाली9
- क़ित'अ51
- रुबाई256
- मुख़म्मस18
- रेख़्ती17
- शेष-रचनाएं27
- सलाम28
- सेहरा8
- शहर आशोब, हज्व, ज़टल नामा13
- तारीख-गोई19
- अनुवाद80
- वासोख़्त24
संपूर्ण
परिचय
ई-पुस्तक185
कहानी233
लेख40
उद्धरण107
लघु कथा29
तंज़-ओ-मज़ाह1
रेखाचित्र24
ड्रामा59
अनुवाद2
वीडियो82
गेलरी 4
ब्लॉग5
अन्य
उपन्यासिका1
पत्र10
सआदत हसन मंटो के लघु कथाएँ
करामात
लूटा हुआ माल बरामद करने के लिए पुलिस ने छापे मारने शुरू किए। लोग डरके मारे लूटा हुआ माल रात के अंधेरे में बाहर फेंकने लगे। कुछ ऐसे भी थे जिन्होंने अपना माल भी मौक़ा पा कर अपने से अलाहिदा कर दिया ताकि क़ानूनी गिरिफ़्त से बचे रहें। एक आदमी को
इस्लाह
“कौन हो तुम?” “तुम कौन हो?” “हरहर महादेव... हरहर महादेव?” “हरहर महादेव?” “सुबूत क्या है?” “सुबूत... मेरा नाम धर्मचंद है?” “ये कोई सुबूत नहीं?” “चार वेदों से कोई भी बात मुझ से पूछ लो।” “हम वेदों को नहीं जानते... सुबूत दो।” “क्या?” “पाएजामा
घाटे का सौदा
दो दोस्तों ने मिल कर दस-बीस लड़कियों में से एक लड़की चुनी और बयालिस रुपये दे कर उसे ख़रीद लिया। रात गुज़ार कर एक दोस्त ने उस लड़की से पूछा, “तुम्हारा नाम क्या है?” लड़की ने अपना नाम बताया तो वो भिन्ना गया। “हम से तो कहा गया था कि तुम दूसरे मज़हब की
आँखों पर चर्बी
“हमारी क़ौम के लोग भी कैसे हैं… पचास सुवर इतनी मुश्किलों के बाद तलाश कर के इस मस्जिद में काटे हैं। वहां मंदिरों में धड़ाधड़ गाय का गोश्त बिक रहा है। लेकिन यहाँ सुवर का मास ख़रीदने के लिए कोई आता ही नहीं।”
बे-ख़बरी का फ़ायदा
लबलबी दबी... पिस्तौल से झुँझला कर गोली बाहर निकली। खिड़की में से बाहर झांकने वाला आदमी उसी जगह दोहरा होगया। लबलबी थोड़ी देर के बाद फिर दबी... दूसरी गोली भनभनाती हुई बाहर निकली। सड़क पर माशकी की मशक फटी। औंधे मुँह गिरा और उसका लहू मशक के पानी
जेली
सुबह छः बजे पेट्रोल पंप के पास हाथ गाड़ी में बर्फ़ बेचने वाले के छुरा घोंपा गया… सात बजे तक उसकी लाश लुक बिछी सड़क पर पड़ी रही और उस पर बर्फ़ पानी बन बन गिरती रही। सवा सात बजे पुलिस लाश उठा कर ले गई। बर्फ़ और ख़ून वहीं सड़क पर पड़े रहे। एक टाँगा
हैवानियत
बड़ी मुश्किल से मियाँ-बीवी घर का थोड़ा असासा बचाने में कामयाब हुए। जवान लड़की थी, उसका कोई पता न चला। छोटी सी बच्ची थी उसको माँ ने अपने सीने के साथ चिमटाये रखा। एक भूरी भैंस थी उसको बलवाई हाँक कर ले गए। गाय बच गई मगर उसका बछड़ा न मिला। मियाँ-बीवी, उनकी
तक़्सीम
एक आदमी ने अपने लिए लकड़ी का एक बड़ा संदूक़ मुंतख़ब किया जब उसे उठाने लगा तो वो अपनी जगह से एक इंच भी न हिला। एक शख़्स ने जिसे शायद अपने मतलब की कोई चीज़ मिल ही नहीं रही थी संदूक़ उठाने की कोशिश करने वाले से कहा, “मैं तुम्हारी मदद करूं?” संदूक़ उठाने
सॉरी
छुरी पेट चाक करती हुई नाफ़ के नीचे तक चली गई। इज़ार-बंद कट गया। छुरी मारने वाले के मुँह से दफ़्अतन कलमा-ए-तास्सुफ़ निकला, “चे चे चे चे… मिश्टेक हो गया।”
पठानिस्तान
“ख़ू, एक दम जल्दी बोलो, तुम कौन ऐ?” “मैं... मैं...” “ख़ू शैतान का बच्चा जल्दी बोलो... इंदू ऐ या मुस्लिमीन?” “मुस्लिमीन।” “ख़ू तुम्हारा रसूल कौन है?” “मोहम्मद ख़ान।” “टीक ऐ...जाओ।”
उलहना
“देखो यार। तुम ने ब्लैक मार्केट के दाम भी लिए और ऐसा रद्दी पेट्रोल दिया कि एक दुकान भी न जली।”
मज़दूरी
लूट खसूट का बाज़ार गर्म था। इस गर्मी में इज़ाफ़ा होगया। जब चारों तरफ़ आग भड़कने लगी। एक आदमी हारमोनियम की पेटी उठाए ख़ुश ख़ुश गाता जा रहा था... 'जब तुम ही गए परदेस लगा कर ठेस ओ पीतम प्यारा, दुनिया में कौन हमारा।' एक छोटी उम्र का लड़का झोली में पापडों
हलाल और झटका
“मैंने उसकी शहरग पर छुरी रखी। हौले हौले फेरी और उस को हलाल कर दिया। “ये तुम ने क्या किया?” “क्यूँ?” “उसको हलाल क्यूँ किया?” “मज़ा आता है इस तरह।” “मज़ा आता है के बच्चे, तुझे झटका करना चाहिए था... इस तरह।” और हलाल करने वाले की गर्दन
क़िस्मत
“कुछ नहीं दोस्त... इतनी मेहनत करने पर सिर्फ़ एक बक्स हाथ लगा था पर इस में भी साला सुअर का गोश्त निकला।”
तआवुन
चालीस पचास लठ्ठ बंद आदमियों का एक गिरोह लूट मार के लिए एक मकान की तरफ़ बढ़ रहा था। दफ़्अतन उस भीड़ को चीर कर एक दुबला पतला अधेड़ उम्र का आदमी बाहर निकला। पलट कर उसने बलवाइयों को लीडराना अंदाज़ में मुख़ातब किया, “भाईयो, इस मकान में बे-अंदाज़ा दौलत है। बेशुमार
इश्तिराकियत
वो अपने घर का तमाम ज़रूरी सामान एक ट्रक में लदवा कर दूसरे शहर जा रहा था कि रास्ते में लोगों ने उसे रोक लिया। एक ने ट्रक के माल-ओ-अस्बाब पर हरीसाना नज़र डालते हुए कहा, “देखो यार किस मज़े से इतना माल अकेला उड़ाए चला जा रहा था।” अस्बाब के मालिक ने
पेश-बंदी
पहली वारदात नाके के होटल के पास हुई। फ़ौरन ही वहां एक सिपाही का पहरा लगा दिया गया। दूसरी वारदात दूसरे ही रोज़ शाम को स्टोर के सामने हुई। सिपाही को पहली जगह से हटा कर दूसरी वारदात के मक़ाम पर मुतअय्यन कर दिया गया। तीसरा केस रात के बारह बजे लांड्री
कस्र-ए-नफ़्सी
चलती गाड़ी रोक ली गई। जो दूसरे मज़हब के थे उनको निकाल निकाल कर तलवारों और गोलियों से हलाक कर दिया गया। इससे फ़ारिग़ हो कर गाड़ी के बाक़ी मुसाफ़िरों की हलवे, दूध और फलों से तवाज़ो की गई। गाड़ी चलने से पहले तवाज़ो करने वालों के मुंतज़िम ने मुसाफ़िरों को
निगरानी में
'अ' अपने दोस्त 'ब' को अपना हम-मज़हब ज़ाहिर करके उसे महफ़ूज़ मक़ाम पर पहुंचाने के लिए मिल्ट्री के एक दस्ते के साथ रवाना हुआ। रास्ते में 'ब' ने जिसका मज़हब मस्लिहतन बदल दिया गया था। मिल्ट्री वालों से पूछा, “क्यूँ जनाब आस पास कोई वारदात तो नहीं हुई?” जवाब
दावत-ए-अमल
आग लगी तो सारा मोहल्ला जल गया... सिर्फ़ एक दुकान बच गई जिसकी पेशानी पर ये बोर्ड आवेज़ां था... “यहां इमारत-साज़ी का जुमला सामान मिलता है।”
सफ़ाई पसंदी
गाड़ी रुकी हुई थी। तीन बंदूक़्ची एक डिब्बे के पास आए। खिड़कियों में से अंदर झांक कर उन्हों ने मुसाफ़िरों से पूछा, “क्यूँ जनाब कोई मुर्ग़ा है।” एक मुसाफ़िर कुछ कहते कहते रुक गया। बाक़ियों ने जवाब दिया, “जी नहीं।” थोड़ी देर के बाद चार नेज़ा बर्दार
खाद
उसकी ख़ुदकुशी पर उसके एक दोस्त ने कहा, “बहुत ही बेवक़ूफ़ था जी। मैंने लाख समझाया कि देखो अगर तुम्हारे केस काट दिए हैं और तुम्हारी दाढ़ी मूंड दी है तो इसका ये मतलब नहीं कि तुम्हारा धर्म ख़त्म होगया है... रोज़ दही इस्तिमाल करो। वाहे गुरु जी ने चाहा
जाएज़ इस्तेमाल
दस राउंड चलाने और तीन आदमियों को ज़ख़्मी करने के बाद पठान भी आख़िर सुर्ख़-रु हो ही गया। एक अफ़रा तफ़री मची थी। लोग एक दूसरे पर गिर रहे थे। छीना झपटी हो रही थी। मार धाड़ भी जारी थी। पठान अपनी बंदूक़ लिए घुसा और तक़रीबन एक घंटा कुश्ती लड़ने के बाद
ख़बरदार
बलवाई मालिक मकान को बड़ी मुश्किलों से घसीट कर बाहर ले आए। कपड़े झाड़ कर वो उठ खड़ा हुआ और बलवाइयों से कहने लगा, “तुम मुझे मार डालो लेकिन ख़बरदार जो मेरे रुपये पैसे को हाथ लगाया।”
रिआयत
“मेरी आँखों के सामने मेरी जवान बेटी को न मारो।” “चलो इसी की मान लो… कपड़े उतार कर हाँक दो एक तरफ़।”
join rekhta family!
Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi
GET YOUR PASS
-
बाल-साहित्य1651
-