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उत्तर प्रदेश के शायर और अदीब

कुल: 340

18वीं सदी के बड़े शायरों में शामिल, मीर तक़ी 'मीर' के समकालीन।

शायर,गद्यकार

प्रसिद्ध क्लासिकी शायर जिन्होंने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया

लोकप्रिय शायर, मुशायरों का ज़रूरी हिस्सा।

इलाहाबाद के एक मशहूर वकील थे। वे भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू के पिता थे। वे भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के आरम्भिक कार्यकर्ताओं में से थे। जलियांवाला बाग काण्ड के बाद 1919 में अमृतसर में हुई कांग्रेस के वे पहली बार अध्यक्ष बने और फिर 1928 में कलकत्ता में दोबारा कांग्रेस के अध्यक्ष बने।

प्रमुखतम प्रगतिशील शायरों में विख्यात/ फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ के समकालीन/अपनी गज़ल ‘मरने की दुआएँ क्यों माँगूँ.......’ के लिए प्रसिद्ध, जिसे कई गायकों ने स्वर दिए हैं

नई ग़ज़ल के प्रतिष्ठित शायर

लखनऊ में क्लासिकी ग़ज़ल के प्रमुख उस्ताद शायर

मुग़ल साम्राज्य के युवराज, शाह आलम सानी के बेटे

उर्दू के पहले बड़े शायर जिन्हें 'ख़ुदा-ए-सुख़न' (शायरी का ख़ुदा) कहा जाता है

महान उर्दू शायर मीर तक़ी मीर के बेटे

प्रमुख मर्सिया-निगार। मसनवी ‘सहर-उल-बयान’ के लिए विख्यात

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