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भारत के शायर और अदीब

कुल: 936

अल्ताफ़ हुसैन हाली के प्रमुख शिष्य

लखनऊ के प्रसिद्ध शायर, मिर्ज़ा दबीर के सुपुत्र, काव्य विद्या पर अपनी किताब ‘मिक़यासुल अशआर’ के लिए भी प्रसिद्ध

अग्रणी एवं प्रख्यात प्रगतिशील शायर, रोमांटिक और क्रांतिकारी नज़्मों के लिए प्रसिद्ध, ऑल इंडिया रेडियो की पत्रिका “आवाज” के पहले संपादक, मशहूर शायर और गीतकार जावेद अख़्तर के मामा

क्लासिकी परंपरा के प्रमुख हास्य-व्यंग शायर, अपनी विशिष्ट भाषा और अभिव्यक्ति के लिए प्रसिद्ध

शायर और लेखक, आज़ादी के बाद उर्दू नॉवेल की स्थिति पर एक किताब लिखी, पटना विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग से सम्बद्ध रहे

अवध के नवाब

18 वीं सदी के प्रमुख शायरों में शामिल / मीर तक़ी मीर के समकालीन

प्रख्यात पूर्व-आधुनिक शायर, अपने सूफ़ियाना लहजे के लिए प्रसिद्ध।

जलील मानकपुरी और आरज़ू लखनवी के प्रिय शागिर्द; ग़ज़ल, रुबाई और मसनवी जैसी विधाओं में रचनाएं कीं. नये सीखनेवालों के लिए एक फ़ारसी लुग़त भी सम्पादित की

लखनऊ स्कूल के आख़िरी ज़माने के शायरों में प्रमुख, विशिष्ट लखनवी शैली के लिए मशहूर, अडिशनल कमिश्नर, शिक्षा मंत्री, गृह मंत्री और कश्मीरी सरकार में कार्यकारी प्रधानमंत्री

प्रख्यात उत्तर-आधुनिक शायर, साहित्यिक पत्रिका दायरे के संपादक।

भारतीय कवि जो मराठी और अंग्रज़ी में कविताएँ लिखते थे। कबीर के इलावा न्यूयार्क रिव्यू आफ़ बुक्स द्वारा विश्व-क्लासिक्स में सम्मिलित एकमात्र कवि।

जम्मू कश्मीर प्रांत के प्रसिद्ध शायर

मशहूर शायर जोश मलसियानी के पुत्र

विद्वान, स्वतंत्रता सेनानी और वक्ता, अपनी शायरी में सूफीवाद और मस्तानगी के लिए मशहूर

शायर और मुशायरों के संचालक, ‘गीता’ और ‘गीतांजलि’ का उर्दू में पद्यात्मक अनुवाद भी किया

उत्तर-क्लासिकी शायर, ज़ौक़ और ग़ालिब के शिष्य अपने सर्वाधिक लोकप्रिय शेरों के लिए प्रसिद्ध

प्रसिद्ध शायर और लेखक, साहित्यिक पत्रिका ‘नदीम’ के सम्पादक, सय्यद सुलेमान नदवी के सहपाठी

इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज थे। लोक सभा के सदस्य भी रहे

शायर और गीतकार

पंजाबी की लोकप्रिय कवयित्री-लेखिका। भारतीय ज्ञानपीठ से सम्मानित।

प्रतिष्ठित शायर, अपनी रुबाई के लिए मशहूर

प्रमुख गद्यकार, व्यंग्यकार और शायर

दाग़ देहलवी के समकालीन। अपनी ग़ज़ल ' सरकती जाए है रुख़ से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता ' के लिए प्रसिद्ध हैं।

उर्दू / हिंदवी के पहले शायर। मशहूर सूफ़ी हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया के शागिर्द और संगीतज्ञ। तबला और सितार जैसे साज़ों का अविष्कार किया। अपनी ' पहेलियों ' के लिए प्रसिद्ध जो भारतीय लोक साहित्य का हिस्सा हैं। ' ज़े हाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल ' जैसी ग़ज़ल लिखी जो उर्दू / हिंदवी शायरी का पहला नमूना है।

आधुनिक उर्दू शायरी और आलोचना का महत्वपूर्ण नाम। भारतीय दर्शन और संगीत से गहरी दिलचस्पी। आल इंडिया रेडियो से संबंधित थे।

विख्यात संस्कृत विद्वान, साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित।

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

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