अनवर मीनाई
ग़ज़ल 10
अशआर 9
जब ज़मीं के मुक़द्दर सँवर जाएँगे
आसमाँ से फ़रिश्ते उतर आएँगे
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दीवानगी की ऐसी मिलेगी कहाँ मिसाल
काँटे ख़रीदता हूँ गुलाबों के शहर में
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याद की ख़ुशबू दिल के नगर में फैलेगी
ग़म के साए लगते हैं अब शीतल से
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लाख सूरज की इनायात रहें मेरे साथ
मेरा साया न मिरे क़द के बराबर फैला
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सहीफ़े फ़िक्र-ओ-नज़र के जो दे गए तरतीब
वही तो शेर-ओ-सुख़न के पयम्बरों में रहे
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