इसहाक़ ज़फ़र
ग़ज़ल 1
अशआर 1
कभी कभी कोई भेजता है नज़र में चाहत की फूल कलियाँ
मोहब्बतों का नसीब ठहरा कभी कभी का उदास रहना
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere