कालीदास गुप्ता रज़ा
अशआर 14
अज़ल से ता-ब-अबद एक ही कहानी है
इसी से हम को नई दास्ताँ बनानी है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
अब कोई ढूँड-ढाँड के लाओ नया वजूद
इंसान तो बुलंदी-ए-इंसाँ से घट गया
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
जब फ़िकरों पर बादल से मंडलाते होंगे
इंसाँ घट कर साए से रह जाते होंगे
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
लब-ए-ख़िरद से यही बार बार निकलेगा
निकालने ही से दिल का ग़ुबार निकलेगा
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए