प्रेम लाल शिफ़ा देहलवी
ग़ज़ल 23
नज़्म 10
अशआर 1
या तो दीवाना हँसे या तुम जिसे तौफ़ीक़ दो
वर्ना इस दुनिया में रह कर मुस्कुराता कौन है
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere