उस्ताद अज़मत हुसैन ख़ाँ
ग़ज़ल 20
अशआर 1
शिकवा-ए-बे-चारगी 'मैकश' किसी से क्यों करें
'इश्क़ तो महरूमी-ए-दिल के सिवा कुछ भी नहीं
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere