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कहानी
अब गहरे साँवले रंग की औरत बाक़ी रह गई थी जो ख़ामोश बैठी सिगरेट पी रही थी। आँखें सुर्ख़ थीं ज...
सआदत हसन मंटो
तंज़-ओ-मज़ाह
तो कोई न हो तीमारदार? जी नहीं! भला कोई तीमारदार न हो तो बीमार पड़ने से फ़ायदा? और अगर मर ज...
मुश्ताक़ अहमद यूसुफ़ी
लेख
वजदानी मेयार की एक क़दीम मिसाल ख़्वाजा क़ुतुब उद्दीन बख़्तियार काकी के इस सवाल का जवाब है जो उ...
शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी
कहानी
मैं अपनी हद तक सौ फ़ीसदी उन आरा से मुत्तफ़िक़ थी। मैं ख़ुद सोचती थी कि बा’ज़ अच्छी-ख़ासी भली-...
क़ुर्रतुलऐन हैदर
कहानी
वो सिर्फ़ क़ुदरती मनाज़िर का परस्तार था। उसकी ज़िंदगी का वाहिद मक़सद सिर्फ़ अपने लिए ख़ुशी तल...
सआदत हसन मंटो
कहानी
लड़कों और लड़कियों के मआशिक़ों का ज़िक्र हो रहा था। प्रकाश जो बहुत देर से ख़ामोश बैठा अंदर ही...
सआदत हसन मंटो
कहानी
शहर में बहुत कम आदमी जानते थे कि मॉडर्न न्यूज़ एजेंसी खोलने से चवन्नी लाल का असल मक़सद क्या ...
सआदत हसन मंटो
कहानी
“औलाद-ए-आदम का शजरा बहुत गुंजलक है”, तमारा ने ग़ैर-इरादी तौर पर ज़रा ऊंची आवाज़ में कहा। क्यो...
क़ुर्रतुलऐन हैदर
कहानी
वाक़िया दरअसल यूं था कि किसी समझदार आदमी ने लाला जी को उल्लू की गाली दी थी। गाली दोहराना ख़ि...