aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "سبی"
सय्यद सिब्ते हसन
1912 - 1986
लेखक
सख़ी लख़नवी
1813 - 1876
शायर
सिब्त अली सबा
1935 - 1980
नवीन सी. चतुर्वेदी
born.1968
ग़ौसिया ख़ान सबीन
born.1980
पंकज सुबीर
born.1975
पी पी श्रीवास्तव रिंद
born.1950
सब्त मोहम्मद हादी शम्स
बाबू लाडली लाल लाएक़
born.1894
ख़ावर रिज़वी
1938 - 1981
नवेद फ़िदा सत्ती
born.1982
सबीन यूनुस
born.1957
एहसान सब्ज़
वी. सी. राय नया
born.1941
लाला सिरी राम
1875 - 1930
कहानियाँ ही सही सब मुबालग़े ही सहीअगर वो ख़्वाब है ताबीर कर के देखते हैं
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आआ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
मुझ से पहली सी मोहब्बत मिरी महबूब न माँगमैं ने समझा था कि तू है तो दरख़्शाँ है हयात
जो गुज़ारी न जा सकी हम सेहम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है
सबसे प्रख्यात एवं प्रसिद्ध शायर. अपने क्रांतिकारी विचारों के कारण कई साल कारावास में रहे।
महत्वपूर्ण प्रगतिशील शायर। उनकी कुछ ग़ज़लें ' बाज़ार ' और ' गमन ' , जैसी फिल्मों से मशहूर
रेख़्ता ने अपने पाठकों के अनुभव से, प्राचीन और आधुनिक कवियों की उन पुस्तकों का चयन किया है जो सबसे अधिक पढ़ी जाती हैं.
सबीسبی
all
सब अफ़्साने मेरे
हाजरा मसरूर
अफ़साना
Intikhab-e-sabras
मुल्ला वजही
दास्तान
Sab Ras
फ़िक्शन
Ek Chadar Maili Si
राजिंदर सिंह बेदी
सामाजिक
इक़बाल सब के लिए
फ़रमान फ़तेहपुरी
आलोचना
पाकिस्तान में तहजीब का इर्तिक़ा
इतिहास
हयात-ए-वारिस
शैदा वारसी
चिश्तिय्या
वो जो शाइरी का सबब हुआ
कलीम आजिज़
काव्य संग्रह
मूसा से मार्क्स तक
अरबी ज़बान के दस सबक़
अब्दुस्सलाम किदवई नदवी
भाषा
सब रस का तन्क़ीदी जाएज़ा
मंज़र आज़मी
Mazi Ke Mazar
अभी तुम इश्क़ में हो
संकलन
भले दिनों की बात हैभली सी एक शक्ल थी
हमने कहा, लेकिन कराची की तरह वहां क़दम क़दम पर डाक्टर कहाँ? आजकल तो बग़ैर डाक्टर की मदद के आदमी मर भी नहीं सकता। कहने लगे, छोड़ो भी! फ़र्ज़ी बीमारियों के लिए तो यूनानी दवाएं तीर ब हदफ़ होती हैं।...
ख़ूब-रू आश्ना हैं 'फ़ाएज़' केमिल सबी राम राम करते हैं
ایک گہری راز بھری چپ ہمیشہ اس کے چہرے پر کھیلتی رہتی جیسے خاموشی اس کے چہرے کا اہم حصہ ہو۔آنکھوں میں تا حدِ نظر سوچ کے دائرے ٹوٹتے پھیلتے اپنا گھر بناتے رہتے۔ماتھے پہ چند شکنیں وقت کے ساتھ گھٹتی بڑھتی رہتی تھی وہ بھی ضرورت کے تحت۔بہت کم...
मम्मंद रियाज़ ने बात सुनी, समझी, फिर बाद में मौके़ मौके़ से कहने को ज़ेह्न में एक अच्छा सा फ़िक़रा बना के उसे अपने अंदर फाइल कर लिया। वो बिरादरी वालों में बैठेगा तो दद्दी को अच्छे लफ़्ज़ों से याद करते हुए ये ज़रूर कहेगा कि देखो जी, अराम से...
तूर मिरी अक़्ल-ओ-ख़िरद से है दूरमुझ को सबी ख़ल्क़ मलामत करे
सबी दीवाने हैं उस मह-लक़ा केमगर वो दिल-रुबा जादू नयन है
नहीं अब जग में वैसा और पीतमसबी ख़ुश-सूरताँ सूँ नाज़नीं है
تربت ہم فوکر سے گئے۔ نوشکی اور خاران جیسے علاقوں کازمینی سفر تھکا دینے والا تھا۔ واپسی پر اس حصے کی اُجڑی ہوئی وسعت ہمارے دِلوں میں دُکھ اور بے بسی بن کر گُھس چکی تھی۔ نصیرآباد کے نہری علاقے حوصلہ دیتے رہے جبکہ باقی ضلعوں میں وہی سنسان تباہی...
بنجر اور پتھریلے پہاڑوں کے درمیان گھرا ہوا سا یہ ریلوے اسٹیشن سہ پہر کے ڈھلتے ہوئے سایوں کی اوڑھ لئے ایک طلسماتی منظر پیش کر رہا تھا۔ ان پہاڑی علاقوں میں شام جلد ہو جایا کرتی ہے۔ یہ بات یہاں کے باسیوں کو تو معلوم تھی لیکن امبرین اور...
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