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कहानी
हथ लाइयाँ कुम्हलाँ नी लाजवंती दे बूटे (ये छुई-मुई के पौदे हैं री, हाथ भी लगाओ कुम्हला जाते हैं)...
राजिंदर सिंह बेदी
ग़ज़ल
मिरे मास्टर न होते जो उलूम-ओ-फ़न में दाना
कभी मौला-बख़्श-साहब का न मैं शिकार होता
कैफ़ अहमद सिद्दीकी
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कहानी
इस्मत चुग़ताई
शेर
मौला, फिर मिरे सहरा से बिन बरसे बादल लौट गए
ख़ैर शिकायत कोई नहीं है अगले बरस बरसा देना
इरफ़ान सिद्दीक़ी
कहानी
“ओफ़्फ़ोह... लड़कियाँ कहाँ चली जाती हैं...?” “गोया तुम्हारा मतलब है कि तुम ब्याह कर लोगी।”...