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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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पुरनम इलाहाबादी

1940 - 2009 | लाहौर, पाकिस्तान

पुरनम इलाहाबादी

ग़ज़ल 26

अशआर 3

दोनों आलम से वो बेगाना नज़र आता है

जो तिरे इश्क़ में दीवाना नज़र आता है

आरज़ू हसरत तमन्ना मुद्दआ' कोई नहीं

जब से तुम हो मेरे दिल में दूसरा कोई नहीं

काम कुछ तेरे भी होते तेरी मर्ज़ी के ख़िलाफ़

हाँ मगर मेरे ख़ुदा तेरा ख़ुदा कोई नहीं

 

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