अबुल मुजाहिद ज़ाहिद
ग़ज़ल 7
नज़्म 3
अशआर 10
गिला किस से करें अग़्यार-ए-दिल-आज़ार कितने हैं
हमें मालूम है अहबाब भी ग़म-ख़्वार कितने हैं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
जो सोते हैं नहीं कुछ ज़िक्र उन का वो तो सोते हैं
मगर जो जागते हैं उन में भी बेदार कितने हैं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
नई सहर के हसीन सूरज तुझे ग़रीबों से वास्ता क्या
जहाँ उजाला है सीम-ओ-ज़र का वहीं तिरी रौशनी मिलेगी
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
ये नहीं कि तू ने भेजा ही नहीं पयाम कोई
मगर इक वही न आया जो पयाम चाहते हैं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए