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जौन एलिया के शेर
अपने सभी गिले बजा पर है यही कि दिलरुबा
मेरा तिरा मोआ'मला इश्क़ के बस का था नहीं
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सारी दुनिया के ग़म हमारे हैं
और सितम ये कि हम तुम्हारे हैं
हमें शिकवा नहीं इक दूसरे से
मनाना चाहिए इस पर ख़ुशी क्या
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अब नहीं मिलेंगे हम कूचा-ए-तमन्ना में
कूचा-ए-तमन्ना में अब नहीं मिलेंगे हम
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टैग : शब्दों की उलट-फेर
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रखो दैर-ओ-हरम को अब मुक़फ़्फ़ल
कई पागल यहाँ से भाग निकले
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उस के होंठों पे रख के होंठ अपने
बात ही हम तमाम कर रहे हैं
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ये पैहम तल्ख़-कामी सी रही क्या
मोहब्बत ज़हर खा कर आई थी क्या
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मैं सहूँ कर्ब-ए-ज़िंदगी कब तक
रहे आख़िर तिरी कमी कब तक
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हम ने क्यूँ ख़ुद पे ए'तिबार किया
सख़्त बे-ए'तिबार थे हम तो
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मैं जो हूँ 'जौन-एलिया' हूँ जनाब
इस का बेहद लिहाज़ कीजिएगा
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तिरी क़ीमत घटाई जा रही है
मुझे फ़ुर्क़त सिखाई जा रही है
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मैं ले के दिल के रिश्ते घर से निकल चुका हूँ
दीवार-ओ-दर के रिश्ते दीवार-ओ-दर में होंगे
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अब कि जब जानाना तुम को है सभी पर ए'तिबार
अब तुम्हें जानाना मुझ पर ए'तिबार आया तो क्या
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'जौन' दुनिया की चाकरी कर के
तू ने दिल की वो नौकरी क्या की
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मैं इस दीवार पर चढ़ तो गया था
उतारे कौन अब दीवार पर से
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नई ख़्वाहिश रचाई जा रही है
तिरी फ़ुर्क़त मनाई जा रही है
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मिरी शराब का शोहरा है अब ज़माने में
सो ये करम है तो किस का है अब भी आ जाओ
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और क्या चाहती है गर्दिश-ए-अय्याम कि हम
अपना घर भूल गए उन की गली भूल गए
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टैग : वक़्त
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मुस्तक़िल बोलता ही रहता हूँ
कितना ख़ामोश हूँ मैं अंदर से
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टैग : ख़ामोशी
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हम अजब हैं कि उस की बाहोँ में
शिकवा-ए-नारसाई करते हैं
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टैग : शिकवा
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जानिए उस से निभेगी किस तरह
वो ख़ुदा है मैं तो बंदा भी नहीं
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मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस
ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं
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टैग : ज़र्बुल-मसल
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ख़ुदा से ले लिया जन्नत का व'अदे
ये ज़ाहिद तो बड़े ही घाग निकले
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जम्अ' हम ने किया है ग़म दिल में
इस का अब सूद खाए जाएँगे
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टैग : ग़म
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बहुत कतरा रहे हू मुग़्बचों से
गुनाह-ए-तर्क-ए-बादा कर लिया क्या
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मुझ से अब लोग कम ही मिलते हैं
यूँ भी मैं हट गया हूँ मंज़र से
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उस से हर-दम मोआ'मला है मगर
दरमियाँ कोई सिलसिला ही नहीं
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मुझे अब होश आता जा रहा है
ख़ुदा तेरी ख़ुदाई जा रही है
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पड़ी रहने दो इंसानों की लाशें
ज़मीं का बोझ हल्का क्यूँ करें हम
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ख़र्च चलेगा अब मिरा किस के हिसाब में भला
सब के लिए बहुत हूँ मैं अपने लिए ज़रा नहीं
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हम को हरगिज़ नहीं ख़ुदा मंज़ूर
या'नी हम बे-तरह ख़ुदा के हैं
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कोई मुझ तक पहुँच नहीं पाता
इतना आसान है पता मेरा
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मुझ को ख़्वाहिश ही ढूँडने की न थी
मुझ में खोया रहा ख़ुदा मेरा
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टैग : ख़ुदा
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जान-ए-मन तेरी बे-नक़ाबी ने
आज कितने नक़ाब बेचे हैं
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और तो क्या था बेचने के लिए
अपनी आँखों के ख़्वाब बेचे हैं
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टैग : ख़्वाब
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हमारे ज़ख़्म-ए-तमन्ना पुराने हो गए हैं
कि उस गली में गए अब ज़माने हो गए हैं
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मुझ को तो कोई टोकता भी नहीं
यही होता है ख़ानदान में क्या
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बोलते क्यूँ नहीं मिरे हक़ में
आबले पड़ गए ज़बान में क्या
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टैग : ख़ामोशी
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यूँ जो तकता है आसमान को तू
कोई रहता है आसमान में क्या
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टैग : आसमान
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ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ता
एक ही शख़्स था जहान में क्या
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टैग : श्रद्धांजलि
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मेरी हर बात बे-असर ही रही
नक़्स है कुछ मिरे बयान में क्या
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ये वार कर गया है पहलू से कौन मुझ पर
था मैं ही दाएँ बाएँ और मैं ही दरमियाँ था
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अब जो रिश्तों में बँधा हूँ तो खुला है मुझ पर
कब परिंद उड़ नहीं पाते हैं परों के होते
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कौन से शौक़ किस हवस का नहीं
दिल मिरी जान तेरे बस का नहीं
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