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जोगिन्दर पॉल की कहानियाँ
खोदू बाबा का मक़्बरा
यह कहानी बड़े शहरों में आम आदमी की बेक़द्री और मुश्किल भरी दास्तान को बयान करती है। उस झुग्गी बस्ती में खोदू बाबा पता नहीं कहाँ से चले आए थे। ठेकेदार ने उन्हें क़ब्रिस्तान की ज़मीन हथियाने की नियत से एक पक्का चबूतरा दे दिया था। उस चबूतरे पर बैठकर खोदू बाबा एक कुत्ते के मा‘रिफ़त अपनी बीती ज़िंदगी की कहानी सुनाते हैं और लोगों के दुख-दर्द कम करने की कोशिश करते हैं।
एक जासूसी कहानी
यह एक ऐसे शख़्स की कहानी है, जो रिटायरमेंट के बाद स्टेशन से पैदल ही घर की तरफ़ चल देता है। चाँदनी में सुनसान सड़क पर ख़ामोश चलता हुआ वह अपनी बीती हुई ज़िंदगी, दफ़्तर में अपने कारनामों और बीवी के साथ ख़ुद के रिश्तों पर ग़ौर करता जाता है। मगर तभी उसे एहसास होता है कि कोई उसका पीछा कर रहा है। और जब तक उसे इस बात का यक़ीन होता है तब तक उसे अपने ससुर के क़त्ल के इल्ज़ाम में गिरफ्तार किया जा चुका होता है।
मुर्दा-ख़ाना
कहानी एक मुर्दा-घर में काम करने वाले डॉक्टरों, चपरासी और अन्य कर्मचारियों की दास्तान बयान करती है, जिन्होंने मुर्दा-घर में बर्फ़ सप्लाई करने वाले लोगों के साथ साँठ-गाँठ की हुई होती है। मुर्दा-घर में तय की गई मात्रा में से एक तिहाई ही बर्फ़ आती है, जिसकी वजह से लाशें सड़ने लगती हैं और उनसे बदबू आने लगती है।
टेलीग्राम
शहर में तन्हा ज़िंदगी गुज़ारते एक क्लर्क की कहानी है, जो कम तनख़्वाह में गुज़ारा करते हुए साल में एक बार ही अपनी बीवी से गाँव मिलने जाता है। उसकी ख़्वाहिश है कि वह एक अच्छा-सा कमरा किराये पर ले ले और बीवी को भी शहर में ले आए। अचानक उसे एक टेलीग्राम मिलता है जिसमें लिखा होता है कि उसके नाम दो कमरों का सरकारी क्वार्टर एलाट हो गया है। कुछ ही देर बाद ही उसे दूसरा टेलीग्राम मिलता है, जिसमें उसकी बीवी की ख़ुदकुशी की सूचना लिखी होती है।
ग्रीन हाऊस
यू. एन. ओ. के डिप्टी सेक्रेटरी जनरल के इस निजी सनडाउनर से मौलू अब घर लौटना चाह रहा था मगर उसने इतनी पी ली थी कि उसे डर था, उठा तो लड़खड़ाने लगूँगा। ऑस्ट्रेलियन लॉकर उसकी ख़्वाहिश और ख़ौफ़ भाँप कर हँसने लगा, “पर जब नशे का ये आलम हो तो घुटनों को सीधा ही
पिता जी
यह एक ऐसे शख़्स की दास्तान है जो अपने पिता जी की मौत के बाद अपनी बीवी को बड़ी बहू कहने लगता है। वह अपने पिता जी के कपड़े पहनने लगता है और कभी-कभी बड़ी बहू को पिताजी जैसा ही लगने लगता है। एक दिन वह कुर्सी पर बैठे हुए बड़ी बहू को बीती ज़िंदगी की कई वाक़ेआत सुनाता है और साथ ही बताता जाता है कि उसने ही पिता जी का क़त्ल किया है, क्योंकि उसे बड़ी बहू और पिता जी के बीच रिश्ते को लेकर शक था।
जागीरदार
यह कहानी एक ऐसे ख़ुदग़रज़ बाप के किरदार को पेश करती है, जो रूपयों की ख़ातिर अपनी ही बेटी से धंधा कराने लगता है। उस मकान में वह नया-नया किरायेदार था। एक दिन एक बच्ची एक चिट्ठी लेकर उसके पास आई। उसमें कुछ रुपयों की दरख़्वास्त की गई थी। चिट्ठी भेजने वाले ने ख़ुद को जागीरदार बताया गया था। चिट्ठी में जितने रूपये माँगे गए थे उसके आधे देकर उस किरायेदार ने बच्ची को रवाना कर दिया। इसके बाद भी बच्ची कई बार उसके पास चिट्ठी लेकर आई और उसने हर बार उसे कम रूपये दिये। एक दिन चिट्ठी भेजने वाला ख़ुद उसके पास आया और कहने लगा कि वह जितने रूपये चिट्ठी में लिखे उतने ही दिया करे, क्योंकि अब उसकी बेटी भी तो बड़ी हो गई है।
बैक लेन
कहानी निम्न वर्ग के एक किरदार के ज़रिए मुल्क में तेज़ी से उभर रहे मध्यम वर्ग को प्रस्तुत करती है। एक कबाड़ी कोठियों से बनी एक कॉलोनी में रोज़ कूड़ा बीनने आता है। वह कोठियों की उन पिछली गलियों में जाता है जहाँ पर कूड़े के ट्रम रखे होते हैं। वह ट्रम को उलटता है और कूड़े में से अपने काम की चीज़ें चुनकर बाक़ी को वापस उसी ट्रम में भर देता है। ट्रम से निकलने वाली तरह-तरह की चीज़ों को देखते हुए वह उन घरों के पारिवारिक, शारीरिक रिश्तों, कारोबार और सामाजिक नैतिकता की परतें उघाड़ता जाता है।
कथा एक पीपल की
कहानी एक पीपल और उस पर बसे अनेक प्रकार के पक्षियों के परिवार की कथा कहती है। पीपल के पेड़ पर कबूतर-कबूतरी, कव्वा-कव्वी और भी कई तरह के परिंदे रहते हैं। सभी अपनी-अपनी बात कहते हैं। इनके साथ ही पीपल भी अपने पिछले जन्म और फिर पुर्नजन्म की कहानी सुनाता जाता है।
बेगोर
यह कहानी हिंदुस्तान में ग़रीबी और भूखमरी के शिकार लोगों की खौफ़नाक हालत को पेश करती है। कलकत्ता आए एक अमेरिकी डॉक्टर को अपने रिसर्च के लिए पाँच मुर्दों की ज़रूरत होती है। इसके लिए वह एक एजेंट से बात करता है। एजेंट उसे शहर की सड़कों से होता हुआ एक गली में ले जाता है, जहाँ ग़रीबी और भूखमरी में मरने के कगार पर पहुँचें लोगों की भीड़ जमा होती है।
तीसरी दुनिया
यह कहानी एक ऐसे शख़्स की है, जो एक मज्मे में बैठा हुआ अपनी बीती ज़िंदगी की दास्तान सुना रहा है। लेकिन मज्मे में जब भी कोई नया शख़्स आता है वह उससे कहता है कि उसने अभी तक अपनी दास्तान शुरू नहीं की है। इसके साथ ही वह मज्मे में बैठे लोगों से शहादत भी लेना चाहता है। वह अपना दास्तान शुरू करता है और तभी कोई नया शख़्स मज्मे में आ जुड़ता है और वह फिर से अपनी बात को नए सिरे से शुरू करता है।
मुहाजिर
यह एक ऐसे शख़्स की कहानी है जो जवानी में अपने ख़ुमार में रहता है। फिर एक दिन उसके लिए एक बहुत ख़ूबसूरत लड़की मेहर-उन-निसा का रिश्ता आता है। लेकिन मेहर-उन-निसा उससे शादी करने से इंकार कर देती है। वह अपने पड़ोसी के एक लड़के से गुपचुप निकाह करके उसके साथ भाग जाती है और वह शख़्स तन्हा मेहर-उन-निसा की आस में दुनिया की ख़ाक छानता फिरता है।
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Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi
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