बिहार के शायर और अदीब

कुल: 659

18 वीं सदी के प्रमुख शायरों में शामिल / मीर तक़ी मीर के समकालीन

मीर तक़ी मीर के समकालीन, अज़ीमाबाद के प्रतिष्ठित एवं प्रतिनिधि शायर

मशहूर अफ़्साना निगार और नॉवेल निगार, हिन्दुस्तान में साम्प्रदायिक दंगों के परिप्रेक्ष्य में कहनियाँ और उपन्यास लेखन के लिए जाने जाते हैं।

मीर के समकालीन, अज़ीमाबाद स्कूल के प्रतिष्ठित शायर, दिल्ली स्कूल के रंग में शायरी के लिए मशहूर

क्लासिकी लहजे के प्रमुख और लोकप्रिय शायर

बिहार के प्रमुख उत्तर-क्लासिकी शायर

अग्रणी पूर्व-आधुनिक शायरों में विख्यात।

अग्रणी आधुनिक शायरों में विख्यात।

प्रमुख पूर्वाधुनिक शायर जिन्होंने नई ग़ज़ल के लिए राह बनाई/मिर्ज़ा ग़ालिब के विरोध के लिए प्रसिद्ध

प्रसिद्ध शायर और लेखक,गहरे सामाजिक चेतना के साथ नज़्में और ग़ज़लें कहीं, पाकिस्तान से प्रकाशित महत्वपूर्ण साहित्यिक पत्रिका ‘क़ौमी ज़बान’ के सम्पादक रहे

प्रसिद्ध समकालीन शायर, अपनी नज़्मों के लिए मशहूर

महत्वपूर्ण उत्तर-आधुनिक शायर।

कलकत्ता के प्रसिद्ध शायर. ग़ज़ल, नज़्म और रुबाई जैसी विधाओं में रचनाएं की. बच्चों के लिए लिखी नज़्मों के कई संग्रह प्रकाशित हुए. कई साहित्यिक पत्रिकाओं के संपादक रहे

क्लासिकी परंपरा के प्रमुख हास्य-व्यंग शायर, अपनी विशिष्ट भाषा और अभिव्यक्ति के लिए प्रसिद्ध

प्रतिष्ठित प्रगतिशील शायर,आलोचक,पटकथा लेखक,और गीतकार/ फ़िल्म 'बाजार' के गीत 'करोगे याद तो हर बात याद आएगी' के लिए प्रसिद्ध

अज़ीमाबाद के नामचीन शायर, मशहूर शेर ‘सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है / देखना है जोर कितना बाज़ुए क़ातिल में है’ के रचयिता

उर्दू आलोचना मे कृतिमान स्थापित करने वाली किताब “काशिफ़-अल-हक़ाएक़” के लिए प्रसिद्ध

प्रमुख पूर्वाधुनिक शायर, अपने अपारम्परिक विचारों के लिए विख्यात

उत्तर आधुनिक उर्दू शायर मुक्तिवादी और परिवर्तनधर्मी विचार-सृजन के लिये प्रख्यात

प्रमुखतम आधुकि शायरों में विख्यात/दूर दर्शन से संबंध

शायर और अफ़साना निगार, अपनी रचनाओं में साझा सांस्कृतिक परम्पराओं की पुनरवलोकन के लिए जाने जाते हैं.

अग्रणी उत्तर-आधुनिक शायर, ऑल इंडिया रेडियो से संबंधित।

प्रगतिशील शायर, लेखक, इक बेवफ़ा के नाम जैसी नज़्मों और अपनी आत्मकथा मेरी कहानी के लिए प्रसिद्ध

प्रसिद्ध उत्तर आधुनिक कथाकार और शायर. अपने उपन्यास ‘पलीता’ के लिए जाने जाते हैं.

समादृत कथाकार। कुछ कविताएँ भी लिखीं। समाजवादी और आंचलिक संवेदना के लिए उल्लेखनीय। पद्मश्री से सम्मानित।

अनुवादक,शायर,कुल्लियात-ए-नज़ीर के संपादक और शोधकर्ता

सिलसिला-ए-अबुल-उ’लाईया के मशहूर बुज़ुर्ग और सूबा बिहार के अ’ज़ीम सूफ़ी शाइ’र

Jashn-e-Rekhta | 2-3-4 December 2022 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate, New Delhi

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